नई दिल्ली। दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है। मंगलवार को सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली बिजली नियामक आयोग यानी डीईआरसी के अध्यक्ष के रूप में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस उमेश कुमार के शपथ लेने पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी शपथ को 11 जुलाई तक टाल दिया है। गौरतलब है कि डीईआरसी का चेयरमैन राज्य सरकार की मर्जी के विरूद्ध उप राज्यपाल ने नियुक्त किया है। लेकिन राज्य सरकार के टालमटोल की वजह से वे अभी तक शपथ नहीं ले पाए हैं।
बहरहाल, अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को है या उप राज्यपाल को। सुप्रीम कोर्ट ने उप राज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होगी। गौरतलब है कि उप राज्यपाल ने केंद्र के सेवाओं को लेकर जारी नए अध्यादेश के तहत जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति की थी। इसे दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस नियुक्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए। ये दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है।
सिंघवी ने कहा- केंद्र अध्यादेश ला सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो कुछ भी करे। दिल्ली में चुनी हुई सरकार के तहत ये नियुक्ति आती है। दिल्ली सरकार की लोगों के प्रति जवाबदेही है। एलजी का ये कदम चौंकाने वाला है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- क्या डीईआरसी के चेयरमैन शपथ वे चुके हैं? सिंघवी ने इस पर जवाब दिया- उनको गुरुवार को शपथ लेनी है। इस नियुक्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए।
सिंघवी ने दावा किया कि दिल्ली सरकार की ओर से दो सौ यूनिट फ्री बिजली की योजना को उप राज्यपाल बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्र सरकार सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया और कहा- मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा न करें। तथ्यों पर दलील दीजिए। कोई भी फ्री बिजली को रोक नहीं रहा है। तुषार मेहता ने कहा- मुख्यमंत्री व बिजली मंत्री ने शपथ समारोह के लिए सुविधाजनक समय और तारीख के लिए जस्टिस उमेश कुमार से बातचीत की थी। ऊर्जा मंत्री ने जस्टिस कुमार को सूचित किया था कि शपथ समारोह चार जुलाई को किया जा सकता है, लेकिन तीन जुलाई को उन्होंने कहा कि वे अस्वस्थ है और ऐसा नहीं कर सकतीं। वे इस तरह से एक जज के साथ खेल रहे हैं।