नई दिल्ली। संजय मिश्रा डेढ़ अभी डेढ़ महीने तक प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के प्रमुख बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग स्वीकार करते हुए उनको 15 सितंबर तक पद पर रहने की मंजूरी दे दी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उनको तीसरी बार मिले सेवा विस्तार को गैरकानूनी बताते हुए 31 जुलाई तक पद छोड़ने को कहा था। लेकिन केंद्र सरकार अभी उनको हटाना नहीं चाहती है। उसने सर्वोच्च अदालत से संजय मिश्रा को ढाई महीने तक यानी 15 अक्टूबर तक पद पर बने रहने देने का अनुरोध किया था।
इस पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15-16 सितंबर की मध्य रात्रि तक संजय मिश्रा पद पर बने रहेंगे। इसके बाद उन्हें कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने इस मुद्दे पर सुनवाई की। तीन जजों की बेंच ने फैसले में कहा- सामान्य परिस्थितियों में हम अर्जी पर सुनवाई नहीं करते हैं। लेकिन बड़े सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए हम संजय मिश्रा को 15 सितंबर 2023 तक ईडी निदेशक के रूप में जारी रखने की अनुमति देने के इच्छुक हैं। अदालत ने कहा- हम स्पष्ट करते हैं कि किसी अन्य अर्जी पर सुनवाई नहीं होगी। वे 15-16 सितंबर 2023 की मध्य रात्रि को ईडी निदेशक पद से हट जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने भले केंद्र सरकार का अनुरोध स्वीकार कर लिया लेकिन सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने पूछा कि क्या इतने बड़े संस्थान में एक यही अधिकारी हैं जो इतने बड़े मुद्दे को संभाल सकते हैं? अदालत ने पूछा कि क्या सरकार ये मानती है कि बाकी अधिकारी योग्य ही नहीं हैं? सुप्रीम कोर्ट में भी एक के बाद एक चीफ जस्टिस आते हैं। इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- आपके प्रश्न सही हैं लेकिन यहां स्थिति थोड़ी अलग है। फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स, एफएटीएफ से जुड़े मुद्दे पर संजय मिश्रा की विशेषज्ञता है। उनके हटने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रयासों को धक्का लगेगा। मेहता ने कहा- सरकार सिर्फ 15 अक्टूबर तक उनके सेवा विस्तार को मंजूरी देने का आग्रह करती है।
इस पर जस्टिस गवई ने कहा- लगता है आपका डिपार्टमेंट अयोग्य लोगों से भरा हुआ है! क्या कोई भी योग्य अधिकारी नहीं है। एक अधिकारी के जाने से इतना फर्क पड़ जाएगा? जस्टिस गवई ने कहा- कल मैं सुप्रीम कोर्ट नहीं आऊंगा तो क्या सुप्रीम कोर्ट कोर्ट बंद हो जाएगा? सूचियों में भारत की स्थिति क्या है? एसजी ने कहा कि हमारा देश एफएटीएफ की सिफारिशों पर अमल करने वाले देशों में है। याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक सिंघवी ने कार्यकाल बढ़ाने का विरोध करते हुए कहा कि इस सरकार ने सब कुछ एक ही अधिकारी के कंधे पर डाल दिया है। प्रशांत भूषण ने भी इसका विरोध किया और कहा कि अगर संजय मिश्रा सरकार के लिए इतना ही जरूरी हैं तो सरकार उनको एडवाइजर के रुप में नियुक्त कर सकती है। उनको सेवा विस्तार देने की जरूरत क्या है?