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गीता प्रेस पर रमेश के बयान से विवाद

नई दिल्ली। हिंदू धार्मिक ग्रंथों और आध्यात्मिक पुस्तकों के सबसे बड़े प्रकाशक गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का कांग्रेस ने विरोध किया है। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह नाथूराम गोडसे को सम्मान देने जैसा है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गीता प्रेस को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने का ऐलान किया है। कांग्रेस की ओर से इसका विरोध किए जाने की भाजपा ने आलोचना की और धर्म, साहित्य आदि से जुड़े लोगों ने भी इसके लिए कांग्रेस की आलोचना की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी के इस फैसले को उपहास भरा बताते हुए रमेश ने इसकी तुलना हिंदुत्व के विचारक सावरकर और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पुरस्कार देने से की। उन्होंने पत्रकार अक्षय मुकुल द्वारा गीता प्रेस पर लिखी 2015 की एक किताब का भी हवाला दिया, जिसमें महात्मा गांधी के इस संस्थान के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया गया है।

गौरतलब है कि गीता प्रेस इस सला अपनी स्थापना की शताब्दी मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक प्रकाशक ने पिछले एक सौ वर्षों में सराहनीय काम किया है। मोदी ने ट्विट किया- मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले एक सौ वर्षों में सराहनीय काम किया है।

इस फैसले पर सवाल उठाने के लिए जयराम रमेश की आलोचना करने के साथ साथ भाजपा राहुल गांधी पर भी सवाल उठाया है और कहा कि राहुल के सलाहकार से इसके अलावा कोई और उम्मीद नहीं की जा सकती है। भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी गीता प्रेस से इसलिए नफरत करती है क्योंकि वह सनातन का संदेश फैला रहा है।

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