नई दिल्ली। देश के दूसरे सबसे बड़े कानूनी अधिकारी सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि देश में नॉन मीट प्रोडेक्ट्स को भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि आटा, बेसन और पानी की बोतल जैसे उत्पादों भी इस सूची में शामिल किया गया है। तुषार मेहता ने सवालिया लहजे में कहा कि बेसन कैसे हलाल या गैर हलाल हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि बात खाने पीने की चीजों तक की नहीं है। सीमेंट और सरिया जैसी चीजों को भी यह सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। मेहता ने कहा कि हर उत्पादों पर हलाल सर्टिफिकेट देने वाली निजी एजेंसियां लाखों करोड़ रुपए कमा रही हैं। हलाल सर्टिफिकेट लेने की लागत को भी कंपनी प्रोडेक्ट की कीमत में जोड़ देती है। इससे कीमत बढ़ जाती है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र के हलफनामे पर जवाब देने को कहते हुए सुनवाई मार्च के अंतिम सप्ताह के लिए टाल दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने उत्तर प्रदेश सरकार को पहले आदेश दिया था कि वह इस मामले में कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। वह आदेश फिलहाल जारी रहेगा।
सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से वकील एमआर शमशाद ने कहा कि हलाल जीवन शैली से जुड़ा विषय है। यह सोचना गलत है कि हलाल या गैर हलाल का सिद्धांत सिर्फ मीट उत्पादों पर ही लागू है। उन्होंने कहा कि बहुत से खाद्य पदार्थ ऐसे हो सकते हैं, जिनमें प्रिजर्वेटिव के रूप में अल्कोहल का इस्तेमाल हुआ हो। ऐसे खाद्य पदार्थ गैर हलाल की श्रेणी में आएंगे। हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के वकील ने कहा कि लिपस्टिक जैसी मेकअप की चीजें भी हलाल या गैर हलाल हो सकती हैं।