नई दिल्ली। गलवान घाटी में हुई घटना के चार साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य नहीं हुए हैं। कई दौर की सैन्य कमांडरों की वार्ता के बावजूद हालात जस के तस हैं। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि चीन के साथ भारत के हालात स्थिर हैं, लेकिन ये सामान्य नहीं हैं, काफी संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा- चीन के साथ हमें लड़ना भी है, सहयोग करना है, साथ रहना है, सामना करना है और चुनौती भी देनी है। चीन के साथ रिश्ते बहुत उलझे हुए हैं।
सेना प्रमुख ने कहा- हम चाहते हैं चीन के साथ हालात अप्रैल 2020 के पहले जैसे हो जाएं। फिर चाहे वह जमीन के कब्जे की बात हो या बफर जोन बनाए जाने की बात हो। जब तक पहले जैसे स्थिति बहाल नहीं होती, तब तक हालात संवेदनशील बने रहेंगे और हम किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा- सबसे बड़ी क्षति हमारे विश्वास की हुई है। भारत और चीन के बीच अप्रैल से अब तक कमांडर लेवल की 17 बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है। अब जब दोनों तरफ मुश्किल हालात हैं, तो हमें ऐसा रास्ता ढूंढना होगा जिसमें दोनों को फायदा हो।
इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के जिनेवा में एक सम्मेलन के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75 फीसदी हल निकल गया है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अब भी गंभीर है। हालांकि, 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में उन्होंने 75 फीसदी विवाद हल होने वाले अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा- मैंने यह बात सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में कही थी। चीन के साथ दूसरे मुद्दों पर अभी भी चुनौती बनी हुई है। उन्होंने भी कहा था कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है।