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दलाई लामा मामले से भारत की दूरी

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नई दिल्ली। दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने को लेकर चल रहे विवाद से भारत ने दूरी बना ली है। साथ ही भारत ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बयान से भी दूरी बना ली है। भारत ने कहा है कि आस्था और धर्म की मान्यताओं व प्रथाओं पर भारत टिप्पणी नहीं करता है। इससे पहले किरेन रिजिजू ने गुरुवार को कहा था कि सभी अनुयायी चाहते हैं कि दलाई लामा अपना उत्तराधिकारी खुद चुनें। इस पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

चीन की प्रतिक्रिया के बाद भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह धर्म और आस्था के मामले में टिप्पणी नहीं करता। इससे पहले चीन ने कहा है कि भारत को तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर बयान देने में सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे इसका असर दोपक्षीय संबंधों पर न पड़े। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत को 14वें दलाई लामा की चीन विरोधी और अलगाववादी व्यवहार के बारे में पता होना चाहिए और शिजांग यानी तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए।

गौरतलब है कि दलाई लामा ने अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिए 2015 में अपने कार्यालय की ओर से स्थापित एक ट्रस्ट को अधिकार दिया हुआ है। दूसरी ओर चीन चाहता है कि उसकी पसंद से उत्तराधिकारी चुना जाए। तभी केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बयान के बाद चीन ने इस पर प्रतिक्रिया दी। ध्यान रहे छह जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा का 90वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। किरेन रिजिजू उसमें भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू भी शुक्रवार को इसके लिए धर्मशाला पहुंचे।

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