नई दिल्ली। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश से अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने का अभियान शुरू करने वाले हैं और इस बीच भारत ने कहा है कि वह अमेरिका में रह रहे अपने देश के अवैध प्रवासियों को वापस लाएगा। माना जा रहा है कि इस मसले पर ट्रंप के साथ सहमति दिखा कर भारत ने नए अमेरिकी प्रशासन के साथ सद्भाव के साथ शुरुआत करने का मैसेज दिया है। गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ समारोह में हिस्सा लिया। उसके बाद बुधवार को उन्होंने कि, ‘हम अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों नागरिकों की वापसी के लिए तैयार है’। विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर भारत के रुख को स्थिर और सैद्धांतिक बताया। उन्होंने ट्रंप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पत्र भी सौंपा।
शपथ समारोह के बाद जयशंकर ने अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो से दोपक्षीय वार्ता की, जिसमें अवैध प्रवासी भारतीयों के बारे में भी बात हुई। उसके बाद जयशंकर ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हमारा मानना है कि अगर हमारे नागरिक यहां अवैध रूप से रह रहे हैं और ये तय हो जाता है कि वे हमारे नागरिक हैं, तो उनकी वापसी के लिए हम हमेशा तैयार हैं’। उन्होंने कहा कि भारत अवैध प्रवासन का कड़ा विरोध करता है, यह देशों की छवि के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18 हजार भारतीयों की पहचान होने की खबर है, जिनकी देश वापसी होगी। वैसे जो बाइडेन के प्रशासन में भी बड़ी संख्या में अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजा गया था। मीडिया समूह ‘ब्लूमबर्ग’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 18 हजार लोगों के पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है साथ ही वहां की नागरिकता हासिल करने के लिए सही कागज दस्तावेज भी नहीं हैं। गौरतलब है कि अमेरिका में पिछले महीने अवैध प्रवासियों से निपटने वाली सरकारी संस्था आईसीई ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे करीब 15 लाख लोगों की सूची बनाई थी। इस सूची में 18 हजार भारतीय शामिल हैं।
बहरहाल, वॉशिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज से बांग्लादेश के मुद्दे पर भी संक्षिप्त चर्चा की है। पत्रकारों ने जयशंकर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हालात से जुड़ी चर्चा का सवाल किया था साथ ही विदेश मंत्री से भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हुए हमलों को लेकर भी सवाल किया गया था। हालांकि जयशंकर ने कहा कि इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई है।