नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में पिछले एक महीने से प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट ने काम पर लौटने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सोमवार को इस मामले में सुनवाई की और डॉक्टरों को 24 घंटे का समय देते हुए कहा कि वे मंगलवार की शाम पांच बजे तक काम पर लौटें। अदालत ने कहा कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने से राज्य सरकार को नहीं रोका जा सकेगा। गौरतलब है कि कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में नौ अगस्त को एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। उसके विरोध में डॉक्टर एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।
बहरहाल, इस मामले में सोमवार, नौ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने तीन मुद्दों पर सुनवाई की। अदालत ने सीबीआई की जांच रिपोर्ट, डॉक्टरों की हड़ताल और सीआईएसएफ के जवानों की सुविधाएं नहीं देने के मसले पर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि सीबीआई की स्टैटस रिपोर्ट में कई बातें सामने आईं। एफआईआर में 14 घंटे की देरी हुई है। वहीं कुछ जरूरी दस्तावेज भी गायब हैं। ऐसे में मामला गड़बड़ लगता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को गायब दस्तावेज कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। अदालत ने 17 सितंबर तक नई स्टैटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
अदालत ने हड़ताल को लेकर डॉक्टरों से तुरंत काम पर लौटने को कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा- अगर मंगलवार शाम पांच बजे तक डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं लौटें तो उनके खिलाफ राज्य सरकार को कार्रवाई करने से नहीं रोका जा सकता। डॉक्टरों का पेशा ही मरीजों की सेवा करना है। राज्य सरकार की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से 23 लोगों की जान चली गई है और छह लाख लोगों को इलाज नहीं मिल पाया। बहरहाल, अस्पताल की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के जवानों की सुविधाओं पर कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को आदेश दिया कि सभी जवानों को रहने के लिए घर मुहैया कराया जाए। ये जवान अस्पताल की सुरक्षा के लिए आए हैं। उनको अतिरिक्त सुरक्षा उपकरण भी दिए जाएं। केस की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।