नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एंव विनिमय बोर्ड यानी सेबी की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच को क्लीन चिट मिल गई है। लोकपाल उनके खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में लगाए गए अनुचित पक्षपात और लाभ के आरोपों की जांच के लिए शिकायतों को खारिज कर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाले लोकपाल ने माना कि शिकायतों की जांच का आदेश देने के लिए पहली नजर में कोई मामला नहीं बनता है। गौरतलब है कि माधवी पुरी बुच के खिलाफ अडानी समूह को लेकर कई आरोप लगे थे। उन पर हितों के टकराव का भी आरोप था। एक साथ दो जगह से वेतन या अन्य लाभ लेने का आरोप लगा था।
लेकिन भ्रष्टाचार औरर पक्षपात के मामले में उनको क्लीन चिट देते हुए लोकपाल ने कहा कि आरोप निराधार, अप्रमाणित और काफी हद तक निरर्थक हैं। अपने आदेश में लोकपाल ने कहा कि जब बुच ने सेबी में कार्यभार स्वीकार किया था, तब उन्होंने एएपीएल में अपने शेयरों और अपने पति के पक्ष में किए गए हस्तांतरणों का खुलासा किया था। इसमें यह भी कहा गया है कि इस बात का दूर दूर तक कोई संकेत नहीं है कि उन्होंने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में कार्यभार संभालने के बाद भी एएपीएल के बैनर तले अपना परामर्श कार्य जारी रखा। आदेश में कहा गया कि बुच के खिलाफ आरोप पूरी तरह से हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर आधारित हैं, शिकायतकर्ता आरोपों को पुष्ट करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश करने में विफल रहे हैं।