प्रयागराज। महाकुंभ में सोमवार को धर्म संसद हुई, जिसमें साधु, संतों और धर्माचार्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सनातन बोर्ड बनाने की मांग की। हालांकि चारों शंकराचार्य और 13 अखाड़े इसमें शामिल नहीं हुए। धर्म संसद में साधु, संतों और कथावाचकों ने प्रधानमंत्री से धर्मस्थल कानून समाप्त करने की भी मांग की। धर्म संसद में एक नया नारा गढ़ा गया और कहा गया, ‘संभल, मथुरा, विश्वनाथ, तीनों लेंगे एक साथ’। अयोध्या से आए वल्लभदास महाराज ने कहा, ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर हर जगह बनाएंगे’।
धर्म संसद में करीब पांच हजार साधु, संत और अन्य लोग मौजूद थे। जगद्गुरु श्रीजी महाराज, जगद्गुरु विद्या भास्कर, जगद्गुरु वल्लभाचार्य, चिन्मयानंद बापू, साध्वी प्राची, महंत राजू दास, साध्वी सरस्वती, जगद्गुरु सूर्याचार्य आदि इसमें मौजूद थे। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, ‘बहुत सह लिया, अब न सहेंगे। अपना हक लेकर रहेंगे। पाकिस्तान छोड़कर हिंदू आए, उनकी जगह कहां गई। पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू बोर्ड नहीं है तो हिंदुस्तान में वक्फ बोर्ड क्या कर रहा है’?
अखाड़ों के धर्म संसद में शामिल नहीं होने के सवाल पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, ‘लोगों में चर्चा थीं कि मैं सनातन बोर्ड का अध्यक्ष बनना चाहता हूं, इसलिए ये सब कर रहा हूं। आज मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मुझे कोई पद प्रतिष्ठा नहीं चाहिए। मैं शपथ खाकर कहता हूं कि मुझे कोई पद की इच्छा नहीं थी। मैं तो बस सनातन की रक्षा चाहता हूं’। सोमवार को हुई धर्म संसद में कहा गया कि देश में सनातन बोर्ड बनाया जाए। इसके अलावा देश भर के मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाने, हर बड़े मंदिर में गोशाला स्थापित करने, धर्मांतरण रोकने के लिए गरीब हिंदू परिवारों को आर्थिक सहायता देने और सनातन हिंदुओं के दूसरे धर्म में विवाह रोकने का प्रयास करने की बात कही गई।