नई दिल्ली। मणिपुर में तीन मई से चल रही हिंसा के मसले पर सोमवार को सुनवाई हुई। मणिपुर ट्राइबल फोरम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह राज्य की कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकता है। मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली के वकील कोलिन गोंजाल्वेज ने अदालत से कहा कि सरकार ने पिछली सुनवाई में हिंसा रोकने का भरोसा दिया था। मई में 10 मौतें हुई थीं, जबकि अब संख्या 110 पहुंच गई। हालांकि सरकार की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर हिंसा में 142 लोगों की जान गई है और 5,995 केस दर्ज किए गए हैं।
गोंजाल्वेज की दलील पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- आपके अविश्वास के बावजूद हम राज्य की कानून व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं। यह राज्य और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आप हमारे पास ठोस समाधान लेकर आइए। अदालत मंगलवार को भी इस मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले मणिपुर सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने स्टेटस रिपोर्ट पेश की। पिछली सुनवाई में अदालत ने उन्हें रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।
सॉलिसीटर जनरल ने कहा- हम यहां मणिपुर के लोगों के लिए मौजूद हैं। याचिकाकर्ताओं को बेहद संवेदनशीलता के साथ इस मामले को उठाना चाहिए, क्योंकि कोई भी गलत जानकारी राज्य के हालात को और बिगाड़ सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य और सरकार की कोशिशों के चलते स्थितियां सामान्य हो रही हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर ट्राइबल फोरम के वकील गोंजाल्वेज को रिपोर्ट सौंपी और कहा- आप इस रिपोर्ट को एक बार पढ़िए। हमें ठोस सुझाव दीजिए। हम आपके सुझाव सॉलिसीटर जनरल को देंगे। उन्हें भी विचार करने दीजिए।
मणिपुर में इंटरनेट पर लगी पाबंदी के मामले में भी मंगलवार को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि राज्य में हिंसा भड़कने के बाद तीन मई को इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई थी। मणिपुर हाई कोर्ट ने सात जुलाई को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि इंटरनेट बैन आंशिक तौर पर हटा दिया जाए। इसके जवाब में राज्य सरकार ने याचिका दाखिल की थी।