नई दिल्ली। कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और जघन्य हत्या की घटना पर स्वतः संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की और डॉक्टरों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स गठित किया। सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ साथ नौ डॉक्टरों को शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की।
चीफ जस्टिस ने कहा- व्यवस्था में सुधार के लिए हम और एक बलात्कार का इंतजार नहीं कर सकते। डॉक्टरों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए टास्क फोर्स बना रहे हैं, इसमें नौ डॉक्टरों को शामिल किया गया है, जो मेडिकल पेशे से जुड़े पेशेवरों की सुरक्षा, कामकाज की स्थितियां और उनकी बेहतरी के उपायों की सिफारिश करेगी। टास्क फोर्स में केंद्र सरकार के पांच अधिकारी भी शामिल किए गए हैं। इसमे केंद्रीय कैबिनेट सचिव, केंद्रीय गृह सचिव और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को पदेन सदस्य बनाया गया है। इनके अलावा नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनर्स के अध्यक्ष भी इस टास्क फोर्स के सदस्य होंगे। दिल्ली एम्स के तीन डॉक्टरों को इसका सदस्य बनाया गया है।
टास्क फोर्स के गठन के साथ सुप्रीम कोर्ट ने रेप और मर्डर की घटना के बाद की स्थितियों पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार के वकील से पूछा कि, घटना के बाद प्रिंसिपल ने इसे सुसाइड क्यों बताया। अदालत ने सीबीआई से 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट और राज्य सरकार से घटना की रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही अदालत ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को दिया गया। केस की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने भी सुप्रीम कोर्ट के नेशनल टास्क फोर्स बनाने के फैसले का स्वागत किया है। गौरतलब है कि नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर से रेप और हत्या की गई थी। उसके बाद डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया। देशभर के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। वहीं 14 अगस्त की देर रात इसी अस्पताल में भीड़ ने घुसकर तोड़फोड़ की थी।