लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के मामले राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने इस मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा दी है, जबकि चार अन्य दोषियों को 10-10 साल की सजा हुई है। सजा सुनाए जाते समय सभी दोषी कोर्ट में मौजूद थे। अवैध धर्मांतरण मामले में यह पहला केस है, जिसमें एक साथ 16 लोगों को सजा दी गई। इससे पहले मंगलवार को एनआईए कोर्ट के विशेष जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी को दोषी को करार दिया था। कोर्ट ने 10 सितंबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यूपी के आतंकवाद निरोधक दस्ते यानी एटीएस ने बताया कि ये लोग नौकरी सहित कई तरह के लालच देकर धर्मांतरण कराते थे। फतेहपुर का मोहम्मद उमर गौतम गिरोह का सरगना है, वह खुद हिंदू से मुसलमान बना था। इसके बाद उसने करीब एक हजार लोगों का अवैध तरीके से धर्मांतरण कराया। सरकारी वकील एमके सिंह ने बताया कि अवैध धर्मांतरण मामले में कुल 17 आरोपी थे। एक आरोपी इदरीश कुरैशी को हाई कोर्ट से स्टे मिल गया।
उसके अलावा विशेष अदालत ने मोहम्मद उमर गौतम, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, भुप्रियबंदों मानकर उर्फ अरसलान मुस्तफा, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, कौशर आलम, डॉक्टर फराज शाह, मौलाना कलीम सिद्दीकी, धीरज गोविंद, सरफराज अली जाफरी,अब्दुल्ला उमर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। चार दोषियों मन्नू यादव उर्फ अब्दुल, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, मोहम्मद सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को 10-10 साल की सजा दी गई है।