नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में दूसरी बार विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही हैं। बुधवार को कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों की ओर से सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाएगा। बताया जा रहा है कि विपक्ष की ओर से एक रणनीति के तहत ऐसा किया जा रहा है ताकि प्रधानमंत्री को संसद में बोलने के लिए मजबूर किया जा सके। बहरहाल, मंगलवार को विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ इसकी रणनीति बनाई।
इस बीच संसद में मंगलवार को भी मणिपुर मुद्दे को लेकर जम कर हंगामा हुआ। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने मणिपुर पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग को लेकर नारेबाजी की। राज्यसभा में मणिपुर के मसले पर चर्चा की मांग को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत विपक्षी दल काम रोको प्रस्ताव लेकर आए थे। उधर, राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित किए गए आप सांसद संजय सिंह संसद परिसर में ही विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं।
संसद में हंगामे के बीच विपक्ष सरकार के खिलाफ बुधवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा। सूत्रों के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर लिया गया है। इसे बुधवार को सदन में रखा जाएगा। गौरतलब है कि अब तक संसद में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सिर्फ एक बार अविश्वास प्रस्ताव जुलाई 2018 में आया था। तब मोदी सरकार ने आसानी से अपना बहुमत साबित कर दिया था।
बहरहाल, मंगलवार को दिन भर के हंगामे के बाद शाम पांच बजे लोकसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। शाह ने खेती-किसानी और सहकारिता की बात की तो दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने मणिपुर-मणिपुर के नारे लगाए। विपक्षी सांसद पोस्टर लेकर सदन में खड़े हुए तो अमित शाह ने कहा कि और जोर से नारे लगाइए। आपको न दलितों में इंटरेस्ट है और न ही सहकारिता में। इसके बाद हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले स्पीकर ओम बिरला ने गतिरोध खत्म करने के लिए विपक्षी पार्टियों की बैठक भी बुलाई थी।