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शासन का कोई अंग सर्वोच्च नहीं: चीफ जस्टिस

भारत

मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने साफ किया है कि भारत में शासन का कोई भी अंग सर्वोच्च नहीं है। उन्होंने कहा है कि न तो न्यायपालिका, न ही कार्यपालिका और न संसद सर्वोच्च है। चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और तीनों अंगों को संविधान के अनुसार काम करना है। उन्होंने कहा कि देश का मूल ढांचा मजबूत है और संविधान के तीनों स्तंभ समान हैं। संविधान के सभी अंगों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

मुंबई में अपने सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने भारत के विकास की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि देश न केवल मजबूत हुआ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर भी विकसित हुआ है और ऐसा करना जारी है। गौरतलब है कि भारत के चीफ जस्टिस बनने के बाद जस्टिस बीआर गवई रविवार को पहली बार मुंबई पहुंचे थे। हालांकि यहां उनके प्रोटोकॉल को लेकर एक विवाद हो गया। राज्य सरकार का कोई वरिष्ठ अधिकारी उनको रिसीव करने नहीं पहुंचा।

भारत में शासन का सर्वोच्च अंग नहीं

राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और पुलिस कमिश्नर में से कोई भी उनको रिसीव करने नहीं पहुंचा। इस पर उन्होंने महाराष्ट्र व गोवा बार काउंसिल के कार्यक्रम में निराशा जताई। चीफ जस्टिस गवई ने कहा, ‘मैं ऐसे छोटे मोटे मुद्दों पर बात नहीं करना चाहता, लेकिन मैं इस बात से निराश हूं कि महाराष्ट्र के बड़े अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते। लोकतंत्र के तीनों स्तंभ समान हैं और उन्हें एक दूसरे के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए।

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर भारत के चीफ जस्टिस पहली बार महाराष्ट्र आ रहे हैं तो ये उम्मीद की जाती है कि यहां के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और मुंबई के पुलिस कमिश्नर को मौजूद रहना चाहिए।

ऐसा न करना सोचने पर मजबूर करता है’। गौरतलब है कि मुंबई में महाराष्ट्र व गोवा बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस के सम्मान में एक समारोह रखा था। इसी दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि जब किसी संस्था का प्रमुख पहली बार राज्य में आ रहा हो, खासकर जब वह भी उसी राज्य का हो, तो उन्हें खुद ही सोचना चाहिए कि जो व्यवहार किया गया वह सही था या नहीं। चीफ जस्टिस गवई ने मराठी में सभा को संबोधित करते हुए उन्हें मिले प्यार और स्नेह के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। इसके पहले वे मुंबई में चैत्यभूमि डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मारक भी गए।

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