नई दिल्ली। बेंगलुरू में 26 विपक्षी पार्टियों की बैठक में गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस रखे जाने पर विवाद शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के नेता तो इस पर सवाल उठा ही रहे हैं बताया जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी यह नाम पसंद नहीं है। उन्होंने मंगलवार को हुई बैठक में इस नाम पर आपत्ति जताई थी।
इस बीच विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखे जाने के खिलाफ दिल्ली के बाराखंभा पुलिस स्टेशन एक मुकदमा दर्ज कराया गया है। अवनीश मिश्रा नाम के एक व्यक्ति ने अपनी शिकायत में कहा है- 26 विपक्षी दलों ने इंडिया नाम का अनुचित उपयोग किया है।
बहरहाल, बैठक के एक दिन बाद बुधवार को खबर आई कि विपक्ष की बैठक में गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखने का प्रस्ताव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रखा था। ध्यान रहे तृणमूल कांग्रेस ने सबसे पहले ट्विट करके इस नाम की जानकारी भी दी। बैठक में मौजूद नेताओं के हवाले से बताया गया है कि ममता बनर्जी ने प्रस्ताव दिया था, जिसे राहुल गांधी ने स्वीकार कर लिया। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस नाम पर सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि चुनावी राजनीति के लिए यह नाम उपयुक्त नहीं है।
इस बीच विपक्ष ने गठबंधन के नाम ‘इंडिया’ के साथ ‘जीतेगा भारत’ को अपनी टैगलाइन बनाया है। इसी टैगलाइन का अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद भी किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ‘इंडिया’ नाम तय होने के बाद कई नेताओं को लगा कि कहीं न कहीं भारत का इस्तेमाल होना चाहिए। बैठक में मौजूद एक नेता ने कहा कि शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे ने इसका सुझाव दिया, जिसके बाद ‘जीतेगा भारत’ टैगलाइन जोड़ने का फैसला हुआ।
जहां तक नीतीश कुमार का सवाल है तो वे पहले ‘इंडिया’ नाम से सहमत नहीं थे लेकिन बाद में जब सभी पार्टियां इस नाम पर राजी हो गईं तो उन्होंने भी हामी भर दी। हालांकि इसके बावजूद उनके नाराज होने की खबरें आ रही हैं क्योंकि वे बैठक बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के साथ वे बैठक के तुरंत बाद रवाना हो गए थे। जानकार सूत्रों के मुताबिक जदयू और राजद के नेता इस बात से नाराज हैं कि कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन को हाईजैक कर लिया है। हालांकि आधिकारिक रूप से जदयू ने कहा है कि कोई नाराजगी नहीं है उलटे नीतीश कुमार ने इस पर खुशी जताई कि पटना की बैठक में 15 पार्टियों के नेता पहुंचे थे, जबकि बेंगलुरू में 26 पार्टियों के नेता शामिल हुए।