नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने यूनिवर्सिटी के छात्रों और प्राध्यापकों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की तारीफ की और यह भी कहा कि आज इस विश्वविद्यालयों में छात्रों से ज्यादा छात्राएं हैं और यह देश में लिंगानुपात सुधरने का भी संकेत है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी समारोह में हिस्सा लिया। यूनिवर्सिटी के सभी पूर्व वाइस चांसलरों को भी इसमें आमंत्रित किया गया था।
बहरहाल, प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा- एक समय था जब छात्र किसी संस्थान में एडमिशन से पहले प्लेसमेंट को प्राथमिकता देते थे। एडमिशन का मतलब डिग्री और डिग्री का मतलब नौकरी होता था। शिक्षा यहीं तक सीमित थी। उन्होंने आगे कहा- आज युवा जिंदगी को इसमें बांधना नहीं चाहता है। वह कुछ नया करना चाहता है। अपनी लकीर खुद खींचना चाहता है। 2014 से पहले भारत में सिर्फ कुछ सौ स्टार्टअप थे। आज इनकी संख्या एक लाख को पार कर गई है।
मोदी ने अपनी अमेरिकी यात्रा की भी जिक्र किया। उन्होंने कहा- कुछ दिन पहले अमेरिका की यात्रा पर गया। आपने देखा होगा कि भारत का सम्मान और गौरव कितना बढ़ा है, क्योंकि भारत की क्षमता और भारत के युवाओं पर विश्व का भरोसा बढ़ा है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी मेट्रो से सफर करके डीयू पहुंचे थे। वे सुबह 11 बजे लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन गए। वहां उन्होंने टिकट काउंटर से टोकन लिया और उसके बाद वे प्लेटफॉर्म पहुंचे। मेट्रो में यात्रियों के साथ बातचीत भी की।
दिल्ली यूनिवर्सिटी की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका इतिहास खास है। उन्होंने कहा- यह सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं, बल्कि एक मूवमेंट है। इस यूनिवर्सिटी ने अपने लंबे इतिहास में हर आंदोलन को देखा और जिया है। आज डीयू में पढ़ने वाले लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या ज्यादा हो गई हैं। इसी तरह देश में भी जेंडर रेश्यो में सुधार आया है। मोदी ने कहा- शिक्षण संस्थान की जड़ें जितनी गहरी होती हैं, देश की शाखाएं उतनी ही ऊंचाइयों को छूती हैं। भविष्य के लिए भी यूनिवर्सिटी और देश के संकल्पों में एकरूपता होनी चाहिए।