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बेंगलुरु में हो रहा ‘कट्टर भष्टाचारी सम्मेलन’

बेंगलुरु में हो रहा ‘कट्टर भष्टाचारी सम्मेलन’

Narendra Modi :- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोलते हुए बेंगलुरू में हो रही उनकी बैठक को ‘कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन’ करार दिया और दावा किया कि देश के लोग 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर एक बार भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को वापस लाने का मन बना चुके हैं।

यहां के वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नये एकीकृत टर्मिनल का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करने के बाद मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि एकजुट हो रहे विपक्षी दलों के लिए देश के गरीबों के बच्चों का विकास नहीं, बल्कि अपने बच्चों व भाई-भतीजों का विकास मायने रखता है और ‘अपना परिवार बचाओ, परिवार के लिए भ्रष्टाचार बढ़ाओ’ ही इनकी एकमात्र विचारधारा है।

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बेंगलुरु की बैठक का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, आप देखिए, यह लोग कितने चेहरे लगा कर बैठे हैं। जब यह लोग कैमरे के सामने एक फ्रेम में आ जाते हैं तो पहला विचार देश के सामने यही आता है, पूरा फ्रेम देख करके देशवासी यही बोल उठता है, लाखों करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार। यह तो कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन हो रहा है। लेबल कुछ और लगाया है, माल कुछ और है। इनका उत्पाद है 20 लाख करोड़ रुपए के घोटाले की गारंटी।’ उन्होंने कहा, इनके लिए देश के गरीबों के बच्चों का विकास नहीं, बल्कि अपने बच्चों और भाई-भतीजों का विकास मायने रखता है। इनकी एक ही विचारधारा और एजेंडा है-अपना परिवार बचाओ, परिवार के लिए भ्रष्टाचार बढ़ाओ।

कांग्रेस ने दावा किया है कि इस बैठक में 26 विभिन्न दलों के नेता शामिल होंगे। प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों की इस बैठक पर तंज कसते हुए अवधी भाषा की एक कविता की कुछ पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘गाइत कुछ है, हाल कुछ है, लेबल कुछ है, माल कुछ है। 24 (2024) के लिए 26 होने वाले राजनीतिक दलों पर ये बिल्कुल सटीक बैठता है।’

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अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में पिछले नौ साल में हुए विकास कार्यो का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि लंबे समय तक भारत में विकास का दायरा कुछ बड़े शहरों और कुछ क्षेत्रों तक सीमित रहा और कुछ दलों की ‘स्वार्थ भरी राजनीति’ के कारण विकास का लाभ देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक पहुंचा ही नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘ये दल उन्हीं कामों को प्राथमिकता देते थे, जिनमें इनका खुद का भला हो, इनके परिवार का भला हो। नतीजा ये हुआ कि हमारे आदिवासी क्षेत्रों और द्वीपों की जनता विकास से वंचित रही, विकास के लिए तरसती रही। (भाषा)

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