अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने ‘‘मोदी उपनाम’’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी उनकी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि गांधी पहले ही देशभर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं और निचली अदालत का कांग्रेस नेता को उनकी टिप्पणियों के लिए दो साल कारावास की सजा सुनाने का आदेश ‘न्यायसंगत, उचित और वैध’ है।
अदालत ने कहा कि दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता।
अदालत ने कहा, वह (गांधी) बिल्कुल बेबुनियाद आधारों पर दोषसिद्धि (के फैसले) पर रोक लगवाने की कोशिश कर रहे थे। यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि यह एक अपवाद है, जिसका सहारा केवल दुर्लभ मामलों में ही लिया जाता है। अयोग्यता केवल सांसदों, विधायकों तक सीमित नहीं है। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता के खिलाफ 10 आपराधिक मामले लंबित हैं।
उसने कहा, इस शिकायत के बाद, वीर सावरकर के पोते ने कैम्ब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयान को लेकर पुणे की एक अदालत में एक और शिकायत दर्ज कराई गई थी। उनके खिलाफ एक और शिकायत लखनऊ की संबंधित अदालत में दर्ज की गई थी।’ अदालत ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने पर याचिकाकर्ता के साथ किसी भी प्रकार से अन्याय नहीं होगा।