मुंबई। रिजर्व बैंक ने बढ़ती खुदरा महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी से आगे महंगाई बढ़ने पर कड़े नीतिगत रुख का संकेत भी दिया।
रेपो दर को यथावत रखने का मतलब है कि फिलहाल मकान, वाहन समेत अन्य कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा।इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 0.3 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एमपीसी ने मौजूदा परिस्थितियों पर गौर करते हुए आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का फैसला किया।’’
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं।