Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

कांग्रेस ने नरीमन और जोसेफ के नाम सुझाए थे

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी के अध्यक्ष के पद पर जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की नियुक्ति के एक दिन बाद कांग्रेस पार्टी ने नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाया है और कहा है कि सरकार ने नियुक्ति समिति में शामिल कांग्रेस के दोनों नेताओं की राय की अनदेखी कर दी। गौरतलब है कि नियुक्ति समिति में संसद के दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी शामिल हैं। इन दोनों ने एनएचआरसी के अध्यक्ष पद के लिए जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस केएम जोसेफ के नाम सुझाए थे।

कांग्रेस ने मंगलवार को एक नोट जारी करके कहा कि एनएचआरसी की चयन समिति में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी थे, लेकिन उनकी राय को गंभीरता से नहीं लिया गया। कांग्रेस ने कहा कि चयन समिति की बैठक बुधवार को हुई थी, लेकिन अध्यक्ष का नाम पहले से तय था और इसमें एक दूसरे की सहमति लेने की परंपरा को नजरअंदाज कर दिया गया। ऐसे मामलों में यह आवश्यक होता है। यह निष्पक्षता के सिद्धांत को कमजोर करता है, जो चयन समिति की विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण है।

कांग्रेस ने अपने नोट में कहा है कि, ‘सभी की राय लेने विचार करने को बढ़ावा देने के बजाय समिति ने बहुमत पर भरोसा किया। इस मीटिंग में कई वाजिब चिंताएं उठाई गई थीं, लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया’। दरअसल, वी रामासुब्रमण्यन सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष नियुक्त किए गए। उनसे पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा आयोग के अध्यक्ष थे। वे इसी साल एक जून को इस पद से रिटायर हुए थे। तब से ही आयोग की सदस्य विजया भारती कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रही थीं।

बहरहाल, मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर सहमति जताई थी। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि राहुल गांधी और खड़गे ने योग्यता और समावेशिता का ध्यान में रखते हुए ये नाम सुझाए थे। कांग्रेस ने एनएचआरसी में सदस्यों के दो खाली पदों के लिए जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस अकील अब्दुलहमीद कुरैशी के नाम का सुझाव दिया है।

Exit mobile version