नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एससी आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले पर फिर से विचार करने से इनकार कर दिया है। उसने इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर सारी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इसके साथ ही राज्य सरकारों के अनुसूचित जाति यानी एससी के आरक्षण में वर्गीकरण करने यानी कोटा के अंदर कोटा देने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने इसके खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा- पुराने फैसले में ऐसी कोई खामी नहीं है, जिस पर फिर से विचार किया जाए। पुनर्विचार याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के एक दिसंबर को दिए गए फैसले को खारिज करने का कोई आधार नहीं बताया गया है। इसलिए पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को फैसला सुनाया था कि राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी एससी के आरक्षण में कोटा के अंदर कोटा दे सकेंगी। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलट दिया। 20 साल पहले कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां एकरूप समूह हैं, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी और कहा था कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं।