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रिजर्व बैंक ने ब्याज दर जस का तस रखा

Mumbai (Maharashtra), Feb 07 (ANI): CCTV cameras are seen installed above the logo of Reserve Bank of India (RBI) inside its headquarters in Mumbai, Maharashtra on Thursday. (ANI/REUTERS Photo)

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट में कमी नहीं है। उसने रेपो रेट को साढ़े पांच फीसदी पर जस का तस रखा है। माना जा रहा था कि जीएसटी में कटौती से महंगाई दर और कम होगी और इस वजह से उम्मीद की जा रही थी कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कमी करेगा। लेकिन मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया है। इससे आवास और गृह कर्ज की किश्तें भी जस की तस रहेंगी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। इसे 5.5 फीसदी पर जस का तस रखा है। इससे पहले अगस्त में हुई मीटिंग में भी इसमें बदलाव नहीं हुआ था। रिजर्व बैंक ने देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की बढ़ोतरी का अनुमान 6.5 फीसदी से बढ़ा कर 6.8 फीसदी कर दिया है। गौरतलब है कि मौद्रिक नीति समिति बैठक 29 सितंबर से एक अक्टूबर तक हुई, जिसके बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज एक अक्टूबर को इसकी जानकारी दी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि कमेटी के सभी सदस्य ब्याज दरों को स्थिर रखने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि जीएसटी में कटौती के बाद महंगाई में कमी के चलते इसे नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया। गौरतलब है कि इस साल रिजर्व बैंक तीन बार ब्याज दरों में कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5 से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया था। यह कटौती करीब पांच साल बाद की गई थी। दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25 फीसदी घटाई गई। जून में तीसरी बार दरों में 0.50 फीसदी की कटौती हुई। इस तरह मौद्रिक नीति समिति ने तीन बार में ब्याज दरें एक फीसदी घटाई है।

बहरहाल, रेपो रेट स्थिर रखने के अलावा रिजर्व बैंक ने एक अक्टूबर को कई और बड़े फैसलों की घोषणा की। बैंक ने कंपनियों और आम लोगों के लिए बैंक लोन लेना आसान और सस्ता कर दिया है। साथ ही यूपीआई शुल्क को लेकर लोगों की चिंता को भी दूर कर दी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मीटिंग बाद सभी फैसलों की जानकारी देते हुए साफ किया कि यूपीआई लेन देन पर अभी कोई शुल्क लगाने का प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक चाहते हैं कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिले, इसलिए यूपीआई  को मुफ्त रखा जाएगा।

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