लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की न्यायिक जांच शुरू हो गई है। न्यायिक आयोग की टीम रविवार को संभल के जामा मस्जिद पहुंची थी। तीन सदस्यों की टीम में हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस डीके अरोड़ा, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन और रिटायर प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद हैं। अमित मोहन रविवार को सर्वे टीम के साथ नहीं पहुंचे थे। Sambhal violence
न्यायिक आयोग की टीम ने सबसे पहले हिंसा प्रभावित जामा मस्जिद के बाहर का निरीक्षण किया और फिर मस्जिद के अंदर गई। एसपी कृष्ण बिश्नोई ने टीम के सदस्यों को घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 24 नवंबर के दिन किन घरों से पथराव हुआ और कहां से हिंसा की शुरुआत हुई। कमिश्नर, डीआईजी और कलेक्टर भी उनके साथ साथ थे।
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इससे पहले पशनिवार को शाही जामा मस्जिद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने चंदौसी कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। एएसआई के वकील विष्णु शर्मा ने कहा- यहां प्राचीन इमारत और पुरातत्व अवशेषों के संरक्षण कानून का उल्लंघन किया गया। मस्जिद के बाहर सीढ़ियों पर जो निर्माण करवाया गया है, उसके खिलाफ पहले से एफआईआर दर्ज है।
इस बीच संभल के विधायक इकबाल महमूद ने कहा- मस्जिदों के नाम पर शहीद होने के लिए पूरी मुस्लिम कौम हर वक्त तैयार रहती है। जो कुछ भी हुआ, अच्छा नहीं हुआ। जिसने भी किया, अच्छा नहीं किया। मैं उन सभी परिवारों से मिला हूं, जिन्होंने हिंसा में अपनी जान गंवाई है। सभी के परिवारों को अपनी संवेदना व्यक्त की है। मैंने उनके दर्द को सुना है। इकबाल महमूद हिंसा में मारे गए पांच लोगों के परिवारों से भी रविवार को मिले। Sambhal violence