नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि एजेंसी किसी व्यक्ति को लम्बे समय तक जेल में बंद करके नहीं रह सकती है। नाराज होकर अदालत ने ईडी से यह भी पूछा कि उसके मामलों में सजा होने की दर कितनी है? अदालत ने कहा कि बिना आरोप तय हुए और बिना सजा हुए आरोपियों को लम्बे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ ही सर्वोच्च अदालत ने छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रहीं सौम्या चौरसिया को जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सौम्या चौरसिया की याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि बिना सजा हुए आरोपी को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है? ईडी के मामलों में दोषसिद्धि की दर क्या है? इसके बाद खुद ही जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद में बताया गया है कि अभी तक कुल 41 मामलों में सजा हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि धन शोधन के मामले में सात साल की सजा का प्रावधान है लेकिन आरोपी एक साल नौ महीने से जेल में हैं। जस्टिस दत्ता ने हैरानी जताते हुए कहा कि जिन मामलों में वारंट जारी नहीं किए जा सके क्या ऐसे मामले किसी को जेल में रखने का आधार हो सकते हैं? सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत देते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय की। सौम्या चौरसिया पर कोयला घोटाले से जुड़े मामले में धन शोधन का आरोप है।