नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सरकार को बड़ा झटका देते हुए कहा है कि कानून दिल्ली के उपराज्यपाल को एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का ‘‘स्पष्ट रूप से अधिकार’’ देता है और वह (उपराज्यपाल) इस मामले में मंत्री परिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मंत्री परिषद की सलाह माने बगैर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 10 ‘एल्डरमैन’ नामित करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती दी गई थी।
उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर करीब 15 महीने तक फैसला सुरक्षित रखा था। उपराज्यपाल कार्यालय और ‘आप’ नीत दिल्ली सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर असर डालने वाले फैसले में पीठ ने कहा कि 1993 में संशोधित दिल्ली नगर निगम कानून ‘‘उपराज्यपाल को निगम की विशेष जानकारी रखने वाले व्यक्तियों को नामित करने का स्पष्ट अधिकार देता है।’’
फैसले में कहा गया है कि उपराज्यपाल को कानून में प्रदत्त शक्ति उस वैधानिक योजना को प्रदर्शित करती है, जिसमें कानून के तहत प्राधिकारियों के बीच शक्तियां और कर्तव्य बांटे जाते हैं। न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘शक्ति के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि उपराज्यपाल को कानून के अनुसार काम करना होता है, न कि मंत्री परिषद की सलाह के अनुसार। प्रयोग की जाने वाली शक्ति उपराज्यपाल का वैधानिक कर्तव्य है, न कि किसी राज्य की कार्यकारी शक्ति। हम इसी तरह से संवैधानिक प्रावधानों का आकलन करते हैं।’’
पिछले साल 17 मई को शीर्ष अदालत ने कहा था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं। एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं।