नई दिल्ली। अनुसूचित जाति यानी एससी और अनुसूचित जनजाति यानी एसटी के आरक्षण में वर्गीकरण यानी आरक्षण के अंदर आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुधवार को भारत बंद रहा। दलित और आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे के भारत बंद का आयोजन किया था। देश के ज्यादातर राज्यों में इस बंद का असर दिखा। बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा आदि राज्यों में बंद का बड़ा असर दिखा। उत्तर प्रदेश के भी ज्यादातर हिस्सों में बहुजन समाज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे, जिससे बंद का असर दिखा। कई जगह इंटरनेट बंद कर दिया गया था और कई जगह स्कूल बंद किए गए थे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने एससी और एसटी समुदाय के लिए संविधान से मिले आरक्षण के अंदर ऐसी जातियों को विशेष आरक्षण देने का आदेश दिया, जिनको अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है या जो जातियां ज्यादा वंचित हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशन ने इसे दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। इसके विरोध में बुधवार, 21 अगस्त को पूरे देश में बंद का आह्वान किया गया।
भाजपा विरोधी लगभग सभी पार्टियों ने इस बंद का समर्थन किया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, झारखंड मुक्ति मोर्चा समेत अनेक भाजपा विरोधी पार्टियों ने बंद का समर्थन किया। इस वजह से इन पार्टियों के असर या शासन वाले राज्यों में बंद अपेक्षाकृत ज्यादा सफल रहा। बिहार की राजधानी पटना में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठी चलाई। इसी क्रम में पुलिस ने प्रशासन की व्यवस्था संभाल रहे एसडीएम के ऊपर भी लाठी चला दी। राज्य के दूसरे जिलों जैसे जहानाबाद, सहरसा और पूर्णिया में हाईवे जाम किया गया तो गोपालगंज में प्रदर्शनकारियों ने स्कूल बस जलाने की कोशिश की। इसमें शामिल सभी लोगों की पहचान कर उन पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बंद का असर दिखा। आगरा में सड़क पर उतरे बसपा कार्यकर्ताओं ने जबरन दुकानें बंद करवाईं। कलेक्टर कार्यालय के गेट पर बसपा का झंडा भी फहराया। उदर बदायूं में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और व्यापारी पर हमला किया। जालौन में भी प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। सहारनपुर और मेरठ में भी बंद का असर दिखा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भारत बंद का समर्थन किया और कहा- एससी, एसटी और ओबीसी को मिले आरक्षण के संवैधानिक हक से भाजपा-कांग्रेस खिलवाड़ न करें।
पंजाब में अलग तस्वीर दिखी, जहां वाल्मिकी समाज के लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में उतरे और उन्होंने लड्डू बांटे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताते हुए नगर निगम सफाई यूनियन के सदस्यों ने जालंधर के कंपनी बाग चौक पर लड्डू बाटें। बहरहाल, झारखंड की राजधानी रांची में भी बंद का असर दिखा। जेएमएम ने बंद का समर्थन किया था। आदिवासी बहुल ओडिशा में भी बंद का अच्छा खासा असर दिखा। राजस्थान में बंद के दौरान हिंसा की संभावना देखते हुए राजधानी जयपुर सहित 16 जिलों में स्कूल बंद रखे गए थे। भरतपुर संभाग के चार जिलों, भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर और डीग कुम्हेर में नेट बंद कर दिया गया था। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी एहतियातन स्कूल बंद रहे।