जोहानिसबर्ग। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को इब्सा शिखर सम्मेलन और जी-20 के तीसरे सत्र में भाग लेते हुए वैश्विक शासन और उभरती एआई नतकनीक पर दो महत्वपूर्ण संदेश दिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के दुरुपयोग को रोकने के लिए दुनिया को एक स्पष्ट वैश्विक समझौते की आवश्यकता है।
मोदी ने इब्सा (भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया बिखरी और विभाजित दिखती है, यह मंच एकता, सहयोग और मानवता का मजबूत संदेश दे सकता है। उन्होंने कहा कि इब्सा को विश्व मंच पर यह स्पष्ट संकेत देना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र ढांचे में व्यापक सुधार की जरूरत को अब टाला नहीं जा सकता।
तीनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मज़बूत बनाने के लिए उन्होंने इब्सा एनएसए स्तरीय बैठक को संस्थागत बनाने का भी प्रस्ताव रखा। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की मौजूदगी में मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा कि इतने गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसके खिलाफ लड़ाई में करीबी समन्वय जरूरी है। उन्होंने डिजिटल सार्वजनिक ढाँचों—जैसे यूपीआई, कोविन, साइबर सुरक्षा ढाँचे और महिला-नेतृत्व वाली तकनीकी पहलों—को साझा करने के लिए ‘इब्सा डिजिटल नवाचार गठबंधन’ की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा।
इब्सा को दक्षिण-दक्षिण सहयोग का महत्वपूर्ण मंच बताते हुए प्रधानमंत्री ने जलवायु अनुकूल कृषि के लिए एक नई इब्सा निधि का सुझाव दिया। उन्होंने हाल के वर्षों में तीनों इब्सा सदस्यों द्वारा जी-20 की अध्यक्षता किए जाने के कारण ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज़ और मज़बूत हुई है।
मोदी ने कहा कि इब्सा केवल तीन देशों का समूह नहीं, बल्कि तीन महाद्वीपों और तीन प्रमुख लोकतंत्रों को जोड़ने वाला मंच है। उन्होंने अगले वर्ष भारत में होने वाले ‘एआई इम्पैक्ट’ शिखर सम्मेलन में इब्सा नेताओं को आमंत्रित किया और सुरक्षित, विश्वसनीय और मानव-केंद्रित कृत्रिम मेधा मानदंडों के विकास में समूह की भूमिका पर जोर दिया। बाद में एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि इब्सा “ग्लोबल साउथ की आवाज और आकांक्षाओं को मज़बूत करने की हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है।”
इसी दिन, जी-20 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के दुरुपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की। इसके लिए मूल सिद्धांतों पर आधारित एक वैश्विक समझौते की आवश्यकता पर बल दिया। सत्र का विषय था—“सभी के लिए एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भविष्य : महत्वपूर्ण खनिज, सभ्य कार्य, कृत्रिम बुद्धिमत्ता।”
मोदी ने कहा कि एआई का उपयोग “वैश्विक भलाई” के लिए होना चाहिए और इसे “डीप फेक”, अपराध या आतंकवादी गतिविधियों की दिशा में जाने से रोकना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि ऐसी एआई प्रणालियां, जो मानव जीवन, सुरक्षा या सार्वजनिक विश्वास को प्रभावित करती हैं, उन्हें जिम्मेदार, पारदर्शी और ऑडिट योग्य होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई इंसानी क्षमताओं को बढ़ाए, लेकिन निर्णय लेने का अंतिम अधिकार मनुष्य के पास ही रहे।
यह विशिष्ट मॉडल के बजाय “ओपन सोर्स” प्रणाली पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष, डिजिटल भुगतान और एआई जैसे क्षेत्रों में इसी दर्शन का पालन किया है और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि नवाचार को गति देने के लिए प्रतिभा गतिशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है और उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में जी-20 इसके लिए एक वैश्विक ढांचा विकसित करेगा।
भारत के इंडिया-एआई मिशन का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि सुलभ और उच्च-दक्षता वाली कंप्यूटिंग क्षमता विकसित की जा रही है, ताकि एआई के लाभ देशभर में सभी को मिल सकें। मोदी ने फरवरी 2026 में “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” विषय पर भारत में होने वाले एआई इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन के लिए जी-20 के सदस्य देशों को आमंत्रित किया।
