चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा की सीमा पर पिछले 10 महीने से धरना दे रहे किसानों ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी से मिलने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी के साथ बुधवार, 18 दिसंबर को मीटिंग होनी थी, लेकिन किसानों ने कहा कि वे इसमें नहीं जाएंगे। इस बीच किसान आंदोलन के कारण 10 महीने से बंद हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर खोलने पर 18 दिसंबर को ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसके अलावा 22 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत पर भी कोर्ट सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि डल्लेवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानून गारंटी की मांग को लेकर अनशन पर हैं। पिछले 22 दिन से वे अनशन कर रहे हैं और उनकी सेहत बिगड़ने लगी है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी से मिलने नहीं जाने को लेकर किसानों नेताओं ने एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा कि अब वे जो भी बात करेंगे, केंद्र सरकार से ही करेंगे। उन्हें कमेटी के सदस्यों से कोई बात नहीं करनी।
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सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी को लिखी चिट्ठी में कहा गया है- संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा पहले से ही संदेह था कि कमेटियां सिर्फ औपचारिकता के लिए बनाई जाती हैं लेकिन उसके बावजूद भी आप सभी का सम्मान करते हुए हमारा प्रतिनिधिमंडल चार नवंबर को आपसे मिला। लेकिन इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद भी आपकी कमेटी को अभी तक खनौरी और शंभू मोर्चों पर आने का समय नहीं मिला। मुझे यह देखकर बहुत दुख हुआ कि आप इतनी देरी के बाद सक्रिय हुए हैं। क्या यह समिति मेरी मौत का इंतजार कर रही थी?
इसके आगे चिट्ठी में लिखा गया है- हमारी चार मांगों पर बातचीत अब केंद्र सरकार से ही होगी। इसमें लिखा गया है- हमें समिति के आप सभी सम्मानित सदस्यों से ऐसी असंवेदनशीलता की उम्मीद नहीं थी। मेरी मेडिकल स्थिति और शंभू बॉर्डर पर घायल किसानों की स्थिति को देखते हुए हमारे दोनों मोर्चों ने फैसला किया है कि हम आपसे बैठक करने में असमर्थ हैं। अब हमारी मांगों पर जो भी बातचीत होगी, वह केंद्र सरकार से ही होगी। इसमें बताया गया है कि किसानों को दिल्ली मार्च से रोकने के लिए पुलिस की कार्रवाई में अनेक किसान घायल हुए हैं।