Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग धीमे जहर की तरह काम कर रहा: योगी

योगी

Image Credit: The Statesman

लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग के कारण यहां कैंसर ट्रेन की जरूरत पड़ गई है।

उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग के घातक परिणाम

प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा की हरित क्रांति ने कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया। और लेकिन यह कहानी का केवल एक हिस्सा है। साथ ही उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग धीमे जहर की तरह काम कर रहा है। और वह हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है। साथ ही यह समस्या केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं है। पशु-पक्षी भी इसके दुष्प्रभावों से पीड़ित हैं।

इस दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्य अतिथि थे। अपने संबोधन के दौरान योगी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हरित क्रांति से पहले भी देश के कई क्षेत्रों ने प्राकृतिक तरीकों से उच्च कृषि उत्पादन हासिल किया था। उन्होंने बीज से लेकर बाजार तक कृषि उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द ही यूपी में प्राकृतिक खेती के लिए एक कृषि विश्वविद्यालय बनाया जाएगा। इस बात पर प्रकाश डाला कि हरित क्रांति ने खाद्यान्न उत्पादन को काफी बढ़ावा दिया है, लेकिन यह कहानी का केवल एक हिस्सा ही बताती है। उन्होंने कहा, हमें 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान भारत में प्राकृतिक खेती से उत्पादन दरों पर भी विचार करना चाहिए, जब पृथ्वी अपनी प्राकृतिक अवस्था में थी और खाद्यान्न उत्पादन अभी भी अधिक था। मुख्यमंत्री ने पिछले 100-150 वर्षों की आधुनिक कृषि पद्धतियों और पहले के समय के कृषि विज्ञान के बीच भारी अंतर को इंगित किया।

मिट्टी और जल स्रोतों पर विपरीत प्रभाव

उन्होंने कहा की हमें ऐतिहासिक तरीकों पर फिर से विचार करना चाहिए। और लेकिन हरित क्रांति के बाद उर्वरकों ने अस्थायी रूप से उत्पादन बढ़ाया। और लेकिन आज वे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले धीमे जहर के रूप में कार्य कर रहे हैं। उर्वरकों के हानिकारक प्रभाव मनुष्यों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि पशु-पक्षियों पर भी इसका असर पड़ रहा है। उन्होंने अमरोहा में निराश्रित गौशाला में 12 से 14 गायों की अचानक मौत की घटना साझा की।

योगी ने कहा की जांच में पता चला है कि उनके चारे में बड़े पैमाने पर उर्वरक मिलाया गया था। जिससे उनकी मौत हो गई। और अगर गायें अत्यधिक उर्वरक बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। साथ ही तो मनुष्यों पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करें। कुछ साल पहले, ऐसे मामले कम होते थे। आज, लगभग हर गांव में किडनी की समस्या, हृदय की समस्या और कैंसर से पीड़ित व्यक्ति हैं। यह हमारे खान-पान की आदतों में बदलाव के कारण है, जिससे नई बीमारियां पैदा हो रही हैं। इससे निपटने के लिए पीएम मोदी ने प्राकृतिक खेती का एक नया तरीका पेश किया है।

बीज से लेकर बाजार तक कृषि उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखने और आवश्यकता पर जोर देते हुए। साथ ही योगी ने कहा की यूपी में इसकी काफी संभावनाएं हैं। और हमारे पास देश की 12 प्रतिशत भूमि, देश की 17 प्रतिशत आबादी और देश के 20 प्रतिशत खाद्यान्न का उत्पादन है। पर्याप्त जल संसाधनों के साथ, हमें अपने खुशहाली सूचकांक को बेहतर बनाने के लिए गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता

प्रदेश सरकार द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, हमारे पास वर्तमान में चार कृषि विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से पांचवां विकास के चरण में है। इसके अतिरिक्त, 89 कृषि विज्ञान केंद्र और दो केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय हैं। प्रदेश में नौ जलवायु क्षेत्र हैं, और प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कृषि विज्ञान केंद्रों का विकास आगे बढ़ रहा है। यह पहल प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने को बढ़ावा देगी।

उन्होंने कहा यूपी में कृषि विज्ञान केंद्रों में काफी बदलाव आया है। 2017 से पहले, ये केंद्र जंगलों से घिरे हुए थे। आज, वे किसानों, पशुपालकों और कृषि के समर्थन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। यूपी में 1 लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती की जा रही है, जिसके विशेष रूप से बुंदेलखंड में आशाजनक परिणाम मिले हैं।

इस अवसर पर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलाख, लद्दाख के कार्यकारी पार्षद (कृषि) स्टैनजिन चोसफेल, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. देवेश चतुर्वेदी और केन्द्र सरकार की कृषि व किसान कल्याण संयुक्त सचिव डॉ. योगिता और साथ ही विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति व विशेषज्ञ एवं प्रगतिशील किसान उपस्थित रहे।

Read More: निवेश को लेकर राज्य सरकार के कदम, जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव

Exit mobile version