इंफाल। मणिपुर विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बहिष्कार और हंगामे की भेंट चढ़ गया। कुकी विधायकों ने सत्र का बहिष्कार किया तो कांग्रेस ने हंगामा कर दिया, जिसकी वजह से कार्यवाही नहीं हो सकी। गौरतलब है कि राज्य में तीन मई से जातीय हिंसा भड़की है, जिसमें अब तक 170 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। ऐसे में कई महीने के बाद बुलाई गई विधानसभा की बैठक को काफी अहम माना जा रहा था। लेकिन इसमें कोई कामकाज नहीं हुआ और इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए इस सत्र को काफी अहम माना जा रहा था। हालांकि पहले से अंदाजा था कि यह सत्र चल नहीं पाएगा। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी सत्र बुलाने की बात हुई थी लेकिन सत्र आहूत नहीं हो सका था। मंगलवार को एक दिन के विशेष सत्र का राज्य के सभी 10 कुकी-जोमी विधायकों ने बहिष्कार किया था। इनमें दो मंत्री भी शामिल हैं। बाकी सभी विधायक, जिनमें 10 नगा विधायक भी हैं, बैठक में शामिल हुए। कुकी-जोमी संगठन ने सरकार से सत्र को आगे बढ़ाने की मांग की थी। दूसरी ओर कांग्रेस ने हंगामा किया, जिसकी वजह से महज 11 मिनट में सत्र समाप्त कर दिया गया।
सत्र के समापन से पहले एक प्रस्ताव भी पास किया गया, जिसमें कहा गया कि बातचीत और संवैधानिक उपायों के जरिए शांति बहाली का प्रयास किया जाएगा। हालांकि बाद में कांग्रेस विधायक दल के नेता ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव सदन में स्पीकर ने नहीं रखा था और न सदन में इस पर कोई चर्चा हुई है। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया।
असल में यह सत्र बहुत आपाधापी में बुलाया गया था क्योंकि इसकी संवैधानिक जरूरत थी। संविधान के मुताबिक विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए। दो सितंबर को छह महीने की अवधि पूरी होने वाली थी इसलिए उससे पहले सत्र बुला कर औपचारिकता निभाई गई।