नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और जघन्य हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य की ममता बनर्जी सरकार को जम कर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि जब घटना के बारे में जानकारी सुबह में मिली तो एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे से ज्यादा देरी क्यों हुई? संदेह के घेरे में आए प्रिंसिपल संदीप घोष को लेकर चीफ जस्टिस ने पूछा कि प्रिंसिपल किसका बचाव कर रहे थे, उन्होंने सीधे कॉलेज में आकर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई? चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि जब प्रिंसिपल ने इस्तीफा दिया तो उन्हें दूसरे कॉलेज में क्यों नियुक्त किया गया?
बेंच में शामिल जस्टिस जेबी पारदीवाला ने भी नाराजगी जताते हुए कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। उन्होंने कहा अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज होने से पहले पोस्टमॉर्टम कैसे हुई? अदालत ने इस केस में एक महिला पुलिस अधिकारी की भूमिका पर भी संदेह जताया। मामले में अगली सुनवाई पांच सितंबर को होगी।
अदालत ने राज्य सरकार से पूछा- क्या यह सच है कि अस्वाभाविक मौत रिपोर्ट रात साढ़े 10 बजे दर्ज की गई थी? दूसरी बात, यह असिस्टेंट सुपरिडेंडेंट नॉन मेडिकल कौन है, उसका आचरण भी बहुत संदिग्ध है, उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया? एफआईआर देर रात साढ़े 11 बजे दर्ज क्यों की गई? इसको कैसे जस्टिफाई करेंगे? क्या कारण है कि एफआईआर 14 घंटे देरी से दर्ज की गई?
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा- मौत की जांच सीबीआई को करने दीजिए और तोड़फोड़ की जांच कोलकाता पुलिस को करने दीजिए। हमने कभी नहीं कहा कि सामान्य कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाएगा। केवल इतना कहा कि केवल विरोध प्रदर्शन के लिए गिरफ्तारी न करें। उन्होंने कहा- हमें सीबीआई और कोलकाता पुलिस की स्थिति रिपोर्ट मिल गई है। रिकॉर्ड से पता चलता है कि आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का अनुरोध एसीजेएम सियालदह को सौंपा गया है और यह प्रोसेस में है। एसीजेएम सियालदह 23 अगस्त, 2024 को शाम पांच बजे से पहले इस आवेदन पर आदेश पारित करेंगे। हालांकि सियालदह कोर्ट ने गुरुवार की शाम को ही पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति दे दी।