नई दिल्ली। देश के अलग अलग हिस्सों में भीड़ द्वारा पीट पीट कर लोगों की हत्या किए जाने के मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई हुई और अदालत ने इस मामले में आगे सुनवाई के लिए सहमति जताई। इस पर सुनवाई की याचिका नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन ने दायर की थी। यह याचिका मॉब लिंचिंग मामलों को हाई कोर्ट में भेजने के खिलाफ थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार सहित छह राज्यों के पुलिस महानिदेशक, डीजीपी को नोटिस जारी किया। इसमें बिहार, ओडिशा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अदालत में हाजिर हुए। याचिका दायर करने वाला महिला संगठन सीपीआई से जुड़ा है।
बहरहाल, सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा- अगर लिंचिंग के मामलों की हाई कोर्ट्स में सुनवाई होती तो मुझे वहां जाना पड़ता। ऐसे में पीड़ित को क्या मिलता? 10 साल में बस दो लाख रुपए का मुआवजा। उन्होंने कहा कि 2018 के तहसीन पूनावाला केस में जारी गाइडलाइन के बावजूद मॉब लिंचिंग जैसे मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में क्या ही किया जा सकता है, हम कहां जाएंगे?
गौरतलब एडवोकेट सुमिता हजारिका और रश्मि सिंह ने याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से लिंचिंग मामले में दखल देने की गुजारिश की थी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की 2018 के दिशा-निर्देशों के बावजूद कथित गौरक्षकों द्वारा मुस्लिमों के खिलाफ मॉब वॉयलेंस और लिंचिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।