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चीतों की मौत पर अदालत चिंतित

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए गए चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई और पूछा कि क्या ऐसा होना सही है और क्यों नहीं इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाए? इस मामले में केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया। केंद्र सरकार ने कहा कि इस बात की आशंका पहले से थी। केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने कहा- हमें इस बात की आशंका थी। दूसरी जगह से शिफ्ट किए जाने पर पहले साल में 50 फीसदी मौतें होना खतरे की घंटी नहीं है।

गौरतलब है कि कूनो में सात जुलाई को सूरज, जबकि 11 जुलाई को तेजस नाम के चीते की मौत हो गई थी। एक हफ्ते में दो चीतों की मौत को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने स्वाभाविक बताया था। वहां पिछले चार महीने में आठ चीतों की मौत हो चुकी है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन को निर्देश और दिशा देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई है। इस कमेटी ने ही चीतों की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया है।

कमेटी की याचिका पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान बेंच ने सवाल पूछे थे। जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि इनको बचाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने कहा- यह हमारे लिए एक प्रतिष्ठा वाला प्रोजेक्ट है और हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस पर अदालत ने कहा- भले ही यह प्रतिष्ठा वाला प्रोजेक्ट हो, लेकिन एक साल के भीतर 40 फीसदी की मौत हो जाना क्या अच्छी बात है?

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