नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत दे दी है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने गुजरात हाई कोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने एक जुलाई को तीस्ता की जमानत रद्द करते हुए उनको सरेंडर करने के लिए कहा था, जिसे बाद देर रात तक सुनवाई करके सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को अंतरिम राहत दी थी। बुधवार को तीस्ता की नियमित जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और अदालत ने उनको बडी राहत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को जमानत देते हुए कहा है कि उनका पासपोर्ट निचली अदालत के पास ही जमा रहेगा और वे गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ज्यादातर सबूत दस्तावेजी हैं, चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। साथ ही अदालत ने कहा कि तीस्ता से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है और अगर तीस्ता जमानत शर्तों का उल्लंघन करती हैं तो सरकार अर्जी दाखिल कर सकती है। अदालत ने यह भी साफ किया कि निचली अदालत को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की किसी टिप्पणी से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है।
बुधवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हाई कोर्ट पर सवाल उठाए। सर्वोच्च अदालत ने कहा- हाई कोर्ट का फैसला विकृत है। हाई कोर्ट ने जिस तरह का फैसला दिया है उससे आरोपियों को जमानत मिलना मुश्किल है। हाई कोर्ट का यह निष्कर्ष गलत कि तीस्ता ने एफआईआर रद्द करने की अर्जी नहीं दी। सुनवाई के दौरान तीस्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पूरा मामला समझाया। उन्होंने कहा कि फर्जी तौर पर सबूत गढ़ कर एफआईआर दर्ज की गई।
गौरतलब है कि तीस्ता सीतलवाड़ का मामला 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामले में बेकसूर लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने से जुड़ा है। पिछले साल सितंबर में तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर रिहा कर गुजरात हाई कोर्ट को मामले में मेरिट के आधार पर फैसला करने को कहा था।