नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल पार्टियों के 20 सांसद हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करेंगे। विपक्षी सांसद शनिवार यानी 29 जुलाई को मणिपुर जाएंगे और 30 जुलाई को वापस लौटेंगे। जातीय हिंसा के चक्र में फंसे मणिपुर में विपक्षी सांसदों की टीम दो दिन में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी और राहत शिविरों में जाकर हिंसा से प्रभावित और बेघर हुए लोगों से बात करेगी। शुक्रवार को बताया गया कि सांसद लोगों से इस मामले के समाधान के बारे में भी बात करेंगे।
मणिपुर के दौरे पर जाने वाले सांसदों की टीम में शामिल एक सदस्य ने बताया कि मणिपुर की समस्या को समझने और वहां के लोगों से बात करने के बाद यह टीम सरकार और संसद से मणिपुर समस्या के समाधान को लेकर सिफारिश करेगी। सांसदों की इस टीम में कांग्रेस पार्टी के नेता गौरव गोगोई भी शामिल हैं, जिन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने मणिपुर के दौरे पर जाने से एक दिन पहले शुक्रवार को कहा कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज से कराई जानी चाहिए। गोगोई ने कहा- भाजपा चाहती है कि मणिपुर में सब अच्छा-अच्छा ही दिखाया जाए, लेकिन वहां लगातार हिंसा हो रही है। इसलिए हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जांच करें कि कैसे वहां राज्य सरकार नाकाम रही। वहां लोगों को इतनी तादाद में हथियार कहां से मिले और प्रशासन क्या कर रहा है।
बहरहाल, मणिपुर जाने वाले सांसदों में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी शामिल हैं। उनके अलावा कांग्रेस के गौरव गोगोई, डीएमके नेता कनिमोझी, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, आम आदमी पार्टी के एनडी गुप्ता, तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देब, राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी, झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी, जदयू के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि मणिपुर में तीन मई से कुकी और मैती समुदाय के बीच जातीय हिंसा चल रही है। इसमें अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। पिछले दिनों दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और उनके साथ यौन हिंसा का वीडियो सामने आने के बाद से संसद में इस मसले पर हंगामा चल रहा है। विपक्षी पार्टियां इस मसले पर प्रधानमंत्री से बयान देने की मांग कर रही हैं। प्रधानमंत्री को संसद में बयान देने के लिए मजबूर करने के मकसद से विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।