नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अब ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट यानी ओसीसीआरपी ने अडानी समूह को लेकर बड़ा खुलासा किया है। इसने बताया है कि अडानी समूह के मालिकों ने गुपचुप तरीके से खुद लाखों डॉलर निवेश करके अपने शेयर खरीदे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे। अडानी समूह ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है और कहा कि यह हिंडनबर्ग रिपोर्ट को जिंदा करने की कोशिश की। कंपनी ने कहा है कि तमाम एजेंसियों ने उसकी जांच की है और सुप्रीम कोर्ट से भी उसे क्लीन चिट मिली है। हालांकि यह रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह के 10 में से नौ शेयरों में गिरावट हुई है।
ओसीसीआरपी की यह रिपोर्ट दुनिया के दो प्रतिष्ठित अखबारों, ‘द गार्डियन’ और ‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ ने प्रकाशित किए हैं। इसके सामने आने के बाद अडानी समूह ने कहा कि ओसीसीआरपी ने जो आरोप लगाए हैं, वह एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों से जुड़े हैं। बहरहाल, इस संस्था ने कई टैक्स हेवन देशों की फाइलों और अडानी ग्रुप के आंतरिक ईमेल का हवाला देते हुए कहा है कि उसकी जांच में कम से कम दो ऐसे मामले सामने आए, जहां ‘रहस्यमय’ निवेशकों ने इस तरह के ऑफशोर कंपनियों के जरिए अडानी के शेयर खरीदे और बेचे।
ओसीसीआरपी ने दावा किया कि अडानी परिवार के साथ निवेशक नासिर अली शबान अहली और चैंग चुंग लिंग के लंबे समय से व्यापारिक रिश्ते हैं। गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी के ग्रुप की कंपनियों और फर्मों में ये निदेशक और शेयरधारक के रूप में भी काम कर चुके हैं। इसमें कहा गया है कि दस्तावेजों से पता चलता है कि उनके निवेश का काम संभालने वाली कंपनी ने विनोद अडानी की कंपनी को उनके निवेश में सलाह देने के लिए भुगतान किया था। गौरतलब है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट की बनाई एक कमेटी ने अडानी समूह की जांच की थी और सेबी ने भी हाल ही में अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की है।