जकार्ता। भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया में आसियान देशों के सम्मेलन में हिस्सा लिया। महज नौ घंटे की यात्रा पर जकार्ता पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान सम्मेलन में कहा कोविड के बाद की दुनिया में एक नियम आधारित वर्ल्ड ऑर्डर की जरूरत बताई। उन्होंने यह भी कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। प्रधानमंत्री बुधवार की शाम को दिल्ली से जकार्ता के लिए रवाना हुए थे और गुरुवार की शाम को दिल्ली वापस लौट गए।
गुरुवार की सुबह आसियान सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- 21वीं सदी एशिया की सदी है। वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर हमारा मंत्र है। इसके लिए जरूरी है कि हम कोविड महामारी के बाद नियम आधारित वर्ल्ड ऑर्डर का निर्माण करें। उन्होंने कहा- मानव कल्याण के लिए सबका प्रयास जरूरी है। मुझे विश्वास है कि आज हमारी बातचीत से भारत और आसियान क्षेत्र के भावी भविष्य को और सुदृढ़ बनाने के लिए नए संकल्प लिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने और रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के साथ ही डिजिटल बदलाव, व्यापार और आर्थिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए गुरुवार को 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया। मोदी ने सम्मेलन में कहा- मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्रगति और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करना सभी के साझा हित में है। उन्होंने आगे कहा- भारत के इंडो पैसेफिक इनिशिएटिव में भी आसियान का प्रमुख स्थान है। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केंद्रीय स्तंभ है। प्रधानमंत्री ने कहा- आज वैश्विक अनिश्चितताओं के माहौल में, हमारे आपसी सहयोग में वृद्धि हो रही है। हमारी साझेदारी चौथे दशक में प्रवेश कर रही है।
इंडोनेशिया के साथ भारत के पुराने संबंधों को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- हमारी साझेदारी चौथे दशक में प्रवेश कर रही है। ऐसे में भारत आसियान सम्मेलन को को-चेयर करना मेरे लिए बहुत ही प्रसन्नता का विषय है। इस सम्मेलन के शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति विडोडो का अभिनंदन करता हूं। उनका आभार व्यक्त करता हूं। आसियान सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा- पिछले साल हमने भारत-आसियान फ्रेंडशिप ईयर मनाया और आपसी संबंधों को एक कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रटेजिक पार्टनरशिप का रूप दिया। आज वैश्विक अनिश्चितताओं के माहौल में भी हर क्षेत्र में हमारे आपसी सहयोग में लगातार प्रगति हो रही है। यह हमारे संबंधों की ताकत और लचीलेपन का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि भारत आसियान केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत पर आसियान के रुख का पूर्ण समर्थन करता है।