पटना। बिहार में जाति गणना के आंकड़े सामने आते ही आबादी के अनुपात में आरक्षण बढ़ाने की मांग शुरू हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अब सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जितनी जिसकी संख्या है उतनी उसकी हिस्सेदारी हो। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी आरक्षण बढ़ाने का बारे में कुछ नहीं कहा है लेकिन उन्होंने उन सभी नौ पार्टियों की बैठक बुलाने की बात कही है, जिनकी बैठक में जाति जनगणना का फैसला हुआ था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जातिगत सर्वे की रिपोर्ट का प्रकाशन गांधी जयंती के दिन हुआ है। उन्होंने कहा- बिहार विधानसभा में नौ राजनीतिक दलों की एक बैठक जल्दी ही बुलाई जाएगी, जिन्होंने सर्वेक्षण का समर्थन किया था। उन्हें सर्वेक्षण के निष्कर्षों के बारे में सूचित किया जाएगा। नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा- जाति सर्वेक्षण ने विभिन्न जातियों की आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी दी है। इस डाटा के आधार पर सभी समुदायों के विकास के लिए कदम उठाए जाएंगे।
लालू प्रसाद ने सोशल मीडिया पर कहा- ये आंकड़े वंचित और उत्पीड़ित वर्गों और गरीबों को उनकी आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व देने और उनके विकास के लिए नीतियां बनाने में देश के लिए एक मानक स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा- सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज के सभी वर्गों को उनकी संख्या के अनुसार विकास में हिस्सा मिले। उन्होंने यह भी कहा कि 2024 में सरकार बनने पर पूरे देश में जाति जनगणना कराएंगे।
भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस सर्वेक्षण पर सवाल उठाया और कहा कि जातिगत सर्वे बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के सिवाय कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतीश और लालू प्रसाद को अपने कामकाज का रिपोर्ट कार्ड पेश करना चाहिए था। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने इस पर खुशी जताई है और कहा है कि उसने हमेशा जातीय जनगणना का समर्थन किया है।