नई दिल्ली। गुजरात दंगों से जुड़े बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के ऊपर कई सवाल उठाए हैं। दोषियों को राहत दिए जाने के मामले में भी अदालत ने सवाल पूछे। हालांकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि दोषियों की रिहाई कानून के मुताबिक ही हुई है। गौरतलब है कि पिछले साल 15 अगस्त को इस मामले के सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया था। इस फैसले को बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
इस पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा कि दोषियों को मौत की सजा के बाद वाली सजा यानी उम्रकैद क्यों मिली? वो 14 साल की सजा काटकर कैसे रिहा हुए? अदालत ने यह भी पूछा कि 14 साल की सजा के बाद रिहाई की राहत बाकी कैदियों को क्यों नहीं दी गई? अदालत ने आगे पूछा- जेलें कैदियों से भरी पड़ी हैं, तो उन्हें सुधार का मौका क्यों नहीं मिला? बिलकिस के दोषियों के लिए जेल एडवाइजरी कमेटी किस आधार पर बनी? अदालत ने एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा मांगा है।
सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार से पूछा कि जब गोधरा की कोर्ट ने सुनवाई नहीं की, तो उससे राय क्यों मांगी गई? इस मामले में अब 24 अगस्त को सुनवाई होगी। गुरुवार की सुनवाई में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा- हम यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि छूट की नीति को चुनिंदा तरीके से क्यों लागू किया जा रहा है? गुजरात सरकार की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि दोषियों को रिहाई कानून के मुताबिक दी गई है। चूंकि वो 2008 में दोषी ठहराए गए थे. इसलिए उनके लिए 1992 की नीति के तहत विचार किया जाना था।