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ब्रिक्स में छह नए देश शामिल

जोहान्सबर्ग। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका यानी ब्रिक्स के 15वें सम्मेलन में छह नए देशों को इस समूह में शामिल करने का बड़ा फैसला हुआ है। 2010 के बाद पहली बार किसी नए देश को इस समूह में जगह मिली है। आखिरी बार 2010 में दक्षिण अफ्रीका को इसमें शामिल किया गया है। ब्रिक्स के सम्मेलन में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अर्जेंटीना को इस समूह में शामिल किया गया। इन देशों को ब्रिक्स में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस समूह का आधुनिकीकऱण और विस्तार होना इस बात का संदेश है कि सभी वैश्विक संगठनों को बदलने की जरुरत है।

ब्रिक्स के 15वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा ब्रिक्स के विस्तार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा- भारत का मानना रहा है कि नए सदस्यों को जोड़ने से ब्रिक्स एक संगठन के रूप में मजबूत होगा। बदलते समय के हिसाब से ढलना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि ब्रिक्स के छह नए सदस्य देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं। मोदी ने कहा- मुझे खुशी है कि हमारी टीम ब्रिक्स के विस्तार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, मानदंडों, प्रक्रियाओं पर एक साथ सहमत हुई हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के विस्तार का निर्णय बहुध्रुवीय दुनिया में कई देशों के विश्वास को और मजबूत करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने इसके साथ ही चंद्रयान-तीन की सफलता को लेकर मिल रही बधाइयों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा- ये मिशन मानवता के लिए अहम है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए ये बड़ी उपलब्धि है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि इस उपलब्धि को पूरी मानवता के लिए एक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। 

ब्रिक्स के विस्तार का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा- हमने ब्रिक्स के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुझे खुशी है कि तीन दिन के विचार-विमर्श से कई सकारात्मक नतीजे निकले। मुझे विश्वास है कि हम समूह के नए सदस्य देशों के साथ काम करके ब्रिक्स को नई गति दे पाएंगे। इन सभी देशों के साथ भारत के बहुत गहरे और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने सम्मेलन में कहा कि नए सदस्य एक जनवरी 2024 से ब्रिक्स का हिस्सा बन जाएंगे। उन्होंने कहा- इस ब्रिक्स विस्तार प्रक्रिया के पहले चरण पर हमारी आम सहमति है। हम ब्रिक्स के साथ साझेदारी बनाने में अन्य देशों के हितों को महत्व देते हैं।

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