नई दिल्ली/ओटावा। भारत की ओर से अल्टीमेटम दिए जाने के बाद कनाडा ने अपने 42 राजनयिकों को वापस बुला लिया है। हालांकि कनाडा ने भारत के रवैए को वियना कन्वेंशन का उल्लंघन बताया है। भारत की ओर से दी गई समय सीमा 20 अक्टूबर को खत्म हो रही थी और माना जा रहा था कि उसके बाद कनाडा के राजनयिकों को मिली छूट खत्म हो सकती है। गौरतलब है कि कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत की एजेंसियों पर लगाया था, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिरोध बना हुआ है।
भारत ने कनाडा से अपने राजनयिक घटाने को कहा था ताकि दोनों देशों के राजनयिकों में समानता बन सके। इसके बाद कनाडा ने अपने 62 में से 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली ने बताया है कि उनकी सरकार ने 41 राजनयिक वापस बुला लिए हैं। इसके साथ ही कनाडा ने चंडीगढ़, मुंबई और कर्नाटक में वाणिज्य दूतावासों पर भी रोक लगा दी है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि कनाडा जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा।
कनाडा की विदेश मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नई दिल्ली और ओटावा में पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति में समानता की मांग करते हुए भारत में किसी भी अंतरराष्ट्रीय मानदंड का उल्लंघन नहीं किया गया है। इससे एक दिन पहले गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि कनाडा से उनके राजनयिकों हटाने के लिए कहा गया है, ताकि दोनों देशों में बराबर संख्या में राजनयिक हों। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत में मौजूद कनाडा के अतिरिक्त राजनयिक आंतरिक मामलों में दखल देते हैं।
बहरहाल, कनाडा की विदेश मंत्री ने बताया कि उनके राजनयिक नई दिल्ली के अल्टीमेटम के कारण कनाडा लौट रहे हैं। उन्हें डर है कि अगर वे शुक्रवार से आगे तक देश में रहे, तो उनकी राजनयिक छूट छीन ली जाएगी। उन्होंने कहा कि मामले को और न बिगाड़ने के लिए कनाडा ने फैसला किया है कि वो कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। विदेश मंत्री ने कहा- कनाडा हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता रहेगा, जो हर देश पर लागू होता है। हम भारत के साथ भी रिश्ते बनाए रखेंगे। इस वक्त हमारे लिए ये सबसे ज्यादा जरूरी है कि हमारे डिप्लोमैट्स एक-दूसरे के देश में मौजूद रहें और हम हर लेवल पर बात कर सकें।