नई दिल्ली। बिहार में हुई जातीय गणना और सामाजिक-आर्थिक सर्वे में केंद्र सरकार ने अड़ंगा लगा दिया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है। गौरतलब है कि इसी आधार पर जाति गणना को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी और इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में भी इसे चुनौती दी गई है। अब केंद्र ने इस मामले से जुड़े वैधानिक पहलू पर अपनी राय रखते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि कोई राज्य जनगणना नहीं करा सकता है। गौरतलब है कि बिहार में दो चरण में जातियों की गिनती का काम पूरा हो गया है।
बहरहाल, बिहार में जाति गणना के मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। इसमें सरकार ने कहा है कि सिर्फ केंद्र ही जनगणना या जनगणना जैसी कोई भी कार्रवाई कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से गृह मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि जनगणना कानून, 1948 के मुताबिक केंद्र सरकार के पास ही जनगणना कराने का अधिकार है, राज्य सरकार के पास नहीं।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि कानून की धारा-तीन के तहत केंद्र को ही यह अधिकार मिला है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी करके यह घोषित किया जाता है कि देश में जनगणना कराई जा रही है और उसके आधार भी स्पष्ट किए जाते हैं। हलफनामे में कहा गया है कि संविधान में किसी अन्य प्राधिकरण या निकाय के पास जनगणना या जनगणना जैसा कोई कदम उठाने का अधिकार नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि बिहार की ओर से कहा गया है कि यह जनगणना नहीं है, बल्कि जातियों की गिनती है ताकि कमजोर व वंचित तबकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
केंद्र सरकार ने इस पहलू पर भी हलफनामा दिया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि एससी, एसटी और ओबीसी के कल्याण के लिए सरकार की ओर से सभी जरूरी और समुचित कदम उठाए जा रहे हैं, जो संविधान और कानून के मुताबिक हैं। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि जनगणना एक विधायी प्रक्रिया है, जो जनगणना कानून, 1948 के तहत है और इसके आयोजन का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। ध्यान रहे पिछली सुनवाई के समय जब केंद्र सरकार ने इस पर अपनी राय रखने का फैसला किया था तभी बिहार में सत्तारूढ़ राजद और जदयू ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में अड़ंगा डालने की कोशिश कर रही है। हालांकि तब बिहार भाजपा ने इससे इनकार किया था और कहा था कि भाजपा बिहार में जाति गणना का समर्थन करती है। हालांकि केंद्र का यह कदम इसमें अड़ंगा डालने वाला दिख रहा है।