नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने एक और इतिहास बनाया। उसने चंद्रयान-तीन के विक्रम लैंडर को दोबारा चांद की सतह पर लैंड कराया। इसके बाद विक्रम लैंडर स्लीप मोड में चला गया। इसरो ने बताया कि चार सितंबर की सुबह आठ बजे विक्रम लैंडर स्लीप मोड में चला गया। इससे पहले इसके तीनों पेलोड ने नई लोकेशन पर काम किया और धरती से डाटा रिसीव किए। अब पेलोड भी स्विच ऑफ हो गए हैं। हालांकि लैंडर के रिसीवर्स काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि विक्रम 22 सितंबर को दोबारा अपना काम शुरू कर देगा।
गौरतलब है कि 14 दिन का एक चंद्र दिन पूरा होने के बाद विक्रम लैंडर स्लीप मोड में चला गया क्योंकि रात में तापमान माइनस दो सौ डिग्री से नीचे चला जाता है। बहरहाल, चंद्रयान-तीन मिशन के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर दोबारा लैंडिंग की। इसरो ने सोमवार को बताया कि लैंडर को 40 सेंटीमीटर ऊपर उठाया गया और 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर उसे सुरक्षित लैंड करा दिया। इसे हॉप एक्सपेरिमेंट यानी जंप टेस्ट कहा। इसरो ने बताया कि लैंडर को ऊपर उठाने से पहले उसका रैंप और पेलोड को फोल्ड किया गया। दोबारा सफल लैंडिंग के बाद सभी उपकरणों को पहले की तरह सेट कर दिया गया। यह प्रयोग तीन सितंबर को किया गया। इसका मकसद आगे के अभियान को सुनिश्चित करने का है।
इससे पहले इसरो ने दो सितंबर को बताया था कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। इसमें लगे दोनों पेलोड बंद हैं। इन पेलोड से डाटा लैंडर के जरिए पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है। इसकी बैटरी भी पूरी तरह चार्ज है। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े। इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा।