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खाता फ्रीज करने के खिलाफ उतरे कांग्रेस नेता

ओडिशा प्रदेश कांग्रेस:

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नई दिल्ली। बैंक खाता फ्रीज करने के आयकर विभाग के फैसले के खिलाफ कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस की और इसका विरोध किया। यह संभवतः पहली बार हुआ कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष  राहुल गांधी ने साझा प्रेस कांफ्रेंस की। बैंक खाता फ्रीज करने के आयकर विभाग के फैसले के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई। हालांकि दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने कहा- कांग्रेस हार के डर से बहाने ढूंढ रही है।

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस की। तीनों नेताओं ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले बैंक खातों को फ्रीज करवाकर केंद्र सरकार देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को कमजोर और पंगु बनाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने कहा कि ऐसी स्थिति में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात कैसे हो सकती है? राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पार्टी इस समय दो रुपए का भी भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।

प्रेस कांफ्रेंस में खड़गे ने कहा- लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं और सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिले। उन्होंने कहा- ईडी, आईटी और अन्य स्वतंत्र संस्थाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं होना चाहिए। ये नहीं कि जो सत्ता में है, संसाधनों पर उनकी मोनोपॉली हो और देश की संस्थाओं पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनका नियंत्रण हो।

राहुल ने गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा- कांग्रेस पार्टी के बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए गए। किसी कोर्ट ने, चुनाव आयोग ने चूं तक नहीं की। किसी ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा- हमें देश के 20 फीसदी लोगों ने वोट किया। हम उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस के बैंक खाते नहीं, देश के लोकतंत्र को फ्रीज किया गया है। हमारे देश में लोकतंत्र है ही नहीं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा- चुनाव से ठीक पहले पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करके कांग्रेस को पंगु बनाने की कोशिश की जा रही है। ये लोकतंत्र पर हमला है। पिछले एक महीने से हम हमारे 285 करोड़ का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। अगर हम कोई काम नहीं कर सकते तो लोकतंत्र कैसे जिंदा रहेगा।

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