नई दिल्ली। लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने के बावजूद निचले सदन से सरकार एक के बाद एक बिल पास करा रही है। मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते के पहले दिन सोमवार को सरकार ने लोकसभा में चार बिल पास कराए, जिनमें सबसे अहम डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 है। इस कानून को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस बिल में सरकार और उसकी एजेंसियों को डाटा इकट्ठा करने के मामले में कई तरह की छूट दी गई है। इससे सूचना के अधिकार कानून के भी कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है।
बहरहाल, सोमवार को दोपहर बाद लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023 पास किया गया। इसके कानून बनने से डाटा इकट्ठा करने वाली कंपनियों को बताना होगा कि वे कौन सा डाटा ले रही हैं और उनका क्या इस्तेमाल किया जाना है। इसमें यह प्रावधान है कि यूजर्स अपने पर्सनल डाटा को बदलवा भी सकेंगे या उन्हें डिलीट भी करा सकेंगे। यह कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डाटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा।
विधेयक में इसके प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के लिए न्यूनतम 50 करोड़ रुपए से लेकर अधिकतम ढाई सौ करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। पुराने बिल में यह पांच सौ करोड़ रुपए तक था। उस बिल में संयुक्त प्रवर समिति ने अनेक संशोधन सुझाए थे। लेकिन बाद में सरकार ने उस बिल को ही वापस ले लिया था। बहरहाल, सोमवार को सरकार ने फार्मेसी संशोधन विधेयक और मध्यस्थता विधेयक लोकसभा से पास कराए। सबसे आखिर में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पास हुआ। कानून बनने पर इससे कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत प्राइवेट सेक्टर की मदद से 50 हजार करोड़ रुपए का फंड बनाया जाएगा, जिसका इस्तेमाल देश के कॉलेजों, संस्थाओं और यूनिवर्सिटी में शोध व विकास पर किया जाएगा।