ज्ञानवापी (Gyanvapi Mosque Dispute) पर जिला अदालत का फैसला हिंदु पक्ष में आने से मुस्लिम समुदाय में नाराजगी थी। इसके बाद अब उत्तराखंड के हल्द्वानी (Haldwani) में नगर निगम द्वारा 8 फरवरी को एक अवैध मदरसा को ढहा दिया गया।
इस घटना के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और अब इसके देशव्यापी होने का अंदेशा है। जैसा कि 5 दिन पहले इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) प्रमुख तौकीर रजा ने बयान दिया था कि इस देश में मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है। “तौकीर रजा (Tauqeer Raza Khan) ने कहा ज्ञानवापी को हम नहीं छोड़ सकते। ज्ञानवापी मस्जिद है। बाबरी पर हमने सब्र कर लिया।” तौकीर रजा ने मस्जिदों को बचाने के लिए जेल भरो आंदोलन शुरु कर दिया है। इसके बाद देशभर के मुस्लिम जगह-जगह इकट्टठा हो रहे हैं। आज बरेली (Bareilly news) में हुई घटना भी इसी का उदाहरण है।
इस दौरान इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तौकीर रजा (Tauqeer Raza Khan) ने उत्तराखंड सीएम पुष्करधामी (Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami) पर पक्षपात और मुस्लिमों पर अत्याचार का करने का आरोप भी लगाया।
ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद- (Gyanvapi Mosque Dispute)
आपको बतादें, काशी-विश्वनाथ में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque Dispute) पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस मस्जिद पर मुस्लिम पक्ष अपना अधिकार होने का दावा करता है तो वहीं हिंदु पक्ष यहां पर शिव मंदिर होने की बात कह रहा है।
मामले में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट में ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर के नीचे 8 तहखानों का भी साइंटिफिक सर्वे कराने की अपील की है। साथ ही वजूखाने और शिवलिंग का साइंटफिक सर्वे कराने वाले मुकदमे में इसकी भी मांग की गई है।
वहीं इस केस में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान केस के संरक्षक और विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह विसेन का कहना है कि तहखानों में कई राज छिपे हैं। अभी तक जो भी सामने आया है वह आदि विश्वेश्वर मंदिर के रहस्य का केवल 25% ही है।
जितेंद्र सिंह विसेन का कहना है कि तहखानों के अंदर के रास्तों का पूरा मैप है। आज जहां तहखाने में पूजा हो रही है, वहां से आगे रास्ता जाता है। 2 तहखानों को पार करने के बाद एक रास्ता है, जहां से मंदिर की पूरी सच्चाई सामने आने के आसार हैं।
ASI सर्वे में कई तहखाने होने का हुआ था खुलासा
ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के अलावा भी कई और तहखाने हैं। इसका खुलासा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया है। राखी सिंह ने कहा कि ज्ञानवापी (Gyanvapi) में बंद तहखानों को प्रशासन की निगरानी में खोला जाए और उनका एएसआई सर्वे (ASI Survey) किया जाए।
परिसर में दो तहखाने बंद हैं, उनके अंदर भी तहखाना हो सकता है। इन तहखानों को पत्थर से बंद किया गया है, या कह सकते हैं कि पत्थर के दरवाजे बनाकर सील कर दिया गया है। इसका मलबा हटाकर सर्वे किया जाए तो उनकी सच्चाई भी बाहर आएगी।
वहीं ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मुकदमे की पक्षकार राखी सिंह ने बंद तहखानों को खोलने की मांग उठाई है। एएसआई (ASI) को अंदर पत्थरनुमा दीवार हटाकर सर्वे करने की आदेश दिए जाने की अपील की है।
राखी सिंह ने याचिका में बंद तहखानों का नक्शा भी लगाया है, तथा अन्य गुप्त तहखाने जो तहखानों के अंदर हैं। उनका भी सर्वे करने की मांग की गई है।
कोर्ट में मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने यह भी दावा किया कि 1993 तक तहखाने में पूजा-पाठ की बात गलत है। वहां कोई पूजा-पाठ नहीं हुई।
31 जनवरी को वाराणसी कोर्ट ने व्यास तहखाने में दी पूजा की अनुमति (Court Order on Gyanvapi)
मालूम हो ज्ञानवापी मस्जिद विवाद ((Gyanvapi mosque dispute) मामले में जिला अदालत के जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश ने 31 जनवरी को व्यास तहखाने में पूजा पाठ की अनुमति दी थी। वाराणसी डीएम को रिसीवर नियुक्त करके कोर्ट ने 7 दिनों के भीतर पूजा शुरू कराने का निर्देश दिया था। हालांकि जिला प्रशासन ने उसी रात 11 बजे ही पूजा शुरू करवा दी। इससे पहले व्यास तहखाने में 1993 से पूजा पाठ रोक दिया गया था। 31 साल बाद फिर से वहां पूजा हो रही है।
ज्ञानवापी के बंद तहखाने खोलने की याचिका पर अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी।
ज्ञानवापी पर ASI के 11 बड़ें प्रमाण जो मंदिर होने को प्रमाणित करते हैं-
– परिसर में मौजूद रहे विशाल मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष था। इसका प्रवेश द्वार पश्चिम से था, जिसे पत्थर की चिनाई से बंद किया है। केंद्रीय कक्ष के मुख्य प्रवेश द्वार को जानवरों व पक्षियों की नक्काशी और एक सजावटी तोरण से सजाया गया था।
-प्रवेश द्वार के ललाट बिंब पर बनी नक्काशी को काटा गया है। कुछ हिस्सा पत्थर, ईंट और गारे से ढक दिया गया है।
-तहखाने में उत्तर, दक्षिण और पश्चिम के तीन कक्षों के अवशेष को भी देखा जा सकता है, पर कक्ष के अवशेष पूर्व दिशा और उससे भी आगे की ओर हैं। इसका विस्तार सुनिश्चित नहीं हो सका, क्योंकि पूर्व का क्षेत्र पत्थर के फर्श से ढका हुआ है। ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मूर्ति के अवशेष
-इमारत में पहले से मौजूद संरचना पर उकेरी गई जानवरों की आकृतियां थीं। 17वीं सदी की मस्जिद के लिए ये ठीक नहीं थे, इसलिए इन्हें हटा दिया गया, पर अवशेष हैं।
-मस्जिद के विस्तार व स्तंभयुक्त बरामदे के निर्माण के लिए पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों जैसे खंभे, भित्तिस्तंभ आदि का उपयोग बहुत कम किया है, जिनका उपयोग किया है, उन्हें जरूरत के अनुसार बदला है।
– इमारत की पश्चिमी दीवार (पहले से मौजूद रहे मंदिर का शेष भाग) पत्थरों से बनी है और पूरी तरह सुसज्जित की गई है।
– उत्तर और दक्षिण हॉल के मेहराबदार प्रवेश द्वारों को रोक दिया गया है। उन्हें हॉल में बदल दिया गया है। सर्वे के दौरान मिला शिलालेख, जो संस्कृत भाषा से मिलता-जुलता है।
-उत्तर दिशा के प्रवेश द्वार पर छत की ओर जाने के लिए बनी सीढ़ियां आज भी इस्तेमाल में हैं, जबकि छत की ओर जाने वाले दक्षिण प्रवेश द्वार को पत्थर से बंद किया गया है।
-रिपोर्ट कहती है कि किसी भी इमारत की कला और वास्तुकला न केवल उसकी तारीख, बल्कि उसके स्वभाव का भी संकेत देती है। केंद्रीय कक्ष का कर्ण-रथ और प्रति-रथ पश्चिम दिशा के दोनों ओर दिखाई देता है।
– सबसे महत्वपूर्ण चिह्न ‘स्वस्तिक’ है। एक अन्य बड़ा प्रतीक शिव का ‘त्रिशूल’ है।
10 बड़े हिंदु मंदिर जिनको तोड़कर बनाई मस्जिद
मार्तण्ड सूर्य मंदिर, अनंतनाग, कश्मीर
मोढेरा सूर्य मंदिर, पाटन, गुजरात
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा, उत्तर प्रदेश
राम जन्मभूमि, अयोध्या, उत्तर प्रदेश
सोमनाथ मंदिर, काठियावाड़, गुजरात
हम्पी के मंदिर, हम्पी डम्पी, कर्नाटक
रुद्र महालय, पाटन, गुजरात
मदन मोहन मंदिर, वृंदावन, उत्तर प्रदेश
मीनाक्षी मंदिर, मदुरै, तमिलनाडु