nayaindia India vs Bharat प्रेसिडेंट ऑफ भारत....
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प्रेसिडेंट ऑफ भारत….

ByNI Editorial,
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आ रहे विदेशी मेहमानों को रात्रिभोज का निमंत्रण भेजा है। पारंपरिक रूप से ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की ओर से भेजे जाने वाले निमंत्रण पत्र में इस बार ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है। राष्ट्रपति मुर्मू नौ सितंबर को विदेशी मेहमानों के लिए प्रगति मैदान के भारत मंडपम में रात्रिभोज की मेजबानी कर रही है। इस निमंत्रण पत्र की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं और माना जा रहा है कि सरकार ‘इंडिया’ की जगह अब सिर्फ ‘भारत’ का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है।

गौरतलब है कि जी-20 का शिखर सम्मेलन विदेश मंत्रालय की देख-रेख में हो रहा है इसलिए राष्ट्रपति भवन से भेजा गया निमंत्रण पत्र भी विदेश मंत्रालय और केंद्र सरकार की सहमति से भेजा गया होगा। बहरहाल, इस निमंत्रण पत्र की तस्वीरें सामने आने के बाद से राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि विपक्ष के गठबंधन ‘इंडिया’ से घबरा कर भाजपा और केंद्र सरकार ने अब इंडिया नाम ही मिटाने का फैसला कर लिया है।

कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया है। लेकिन आलोचना शुरू होने के तुरंत बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक ट्विट किया, जिसमें उन्होंने लिखा- रिपब्लिक ऑफ भारत- खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। हमारी सभ्यता अमृतकाल की ओर से तेजी से बढ़ रही है। हिंदी फिल्मों के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन ने भी एक तरह से इसका समर्थन किया। राष्ट्रपति का निमंत्रण सामने आने के बाद उन्होंने ट्विट किया- भारत माता की जय!

बहरहाल, ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में गुलामी की मानसिकता को समाप्त करने की जो बात कही थी उसे पूरा करने के लिए सरकार इस तरह की पहल कर रही है। कुछ ही दिन पहले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुवाहाटी के एक कार्यक्रम में लोगों से अपील की थी कि देश को इंडिया नहीं, बल्कि भारत कहा जाए। उन्होंने सकल जैन समाज के कार्यक्रम में कहा था- हमारे देश का नाम भारत है इसलिए दुनिया में हम चाहे कहीं भी चले जाएं देश का नाम कहने, सुनने और लिखने हर जगह भारत ही रहना चाहिए। अगर इसको कोई नहीं भी समझ पाता है तो इसकी चिंता आप बिल्कुल ना करें। अगर सामने वाले को समझने की जरूरत होगी तो वह इसे खुद ही समझ लेगा। उन्होंने यह भी कहा- आज दुनिया को हमारी जरूरत है। हम बिना दुनिया के चल सकते हैं लेकिन दुनिया हमारे बिना नहीं चल सकती।

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