नई दिल्ली। इस महीने के अंत में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की तीसरी बैठक मुंबई में होने वाली है उससे पहले बुधवार को दिल्ली में गठबंधन के दो घटक दलों, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में विवाद शुरू हो गया। बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक बुलाई थी। राहुल गांधी भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक के बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कहा कि पार्टी सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करेगी। इसके बाद आप ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि फिर ‘इंडिया’ गठबंधन का क्या मतलब?
हालांकि देर शाम दोनों पार्टियों की ओर से मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया। इससे पहले बुधवार को कांग्रेस की मीटिंग के बाद पार्टी की नेता अलका लांबा ने एक बयान में कहा- दिल्ली से पहले 18 राज्यों की लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारियों को लेकर मीटिंग हो चुकी है। दिल्ली 19वां राज्य था, 2024 का चुनाव कैसे जीतना है इस पर चर्चा हुई। आदेश हुआ कि हमें दिल्ली की सातों सीटों पर मजबूत संगठन के साथ लड़ना है। हर नेता को आज से अभी से निकलना है। उन्होंने कहा- सात महीने और सात सीटें हैं। ये बात हुई कि जिसकी दिल्ली हुई, उसका देश होता है। यही इतिहास बताता है। इसलिए हमें कहा गया कि दिल्ली की सातों सीटों पर तैयारी रखनी है। मजबूती के साथ हमें निकलना है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने भी यही बात कही हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। उलटे उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने पोल खोल यात्रा के जरिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को एक्सपोज करने का प्रयास किया है। इन दोनों के बयान के बाद आप के विधायक विनय मिश्र ने कहा कि अगर कांग्रेस दिल्ली में सातों सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो फिर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
हालांकि बाद में आप के प्रवक्ता और राज्य सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस विवाद को खत्म करने का प्रयास करते हुए कहा कि कांग्रेस की ओर से बयान देने वाले बहुत छोटे नेता हैं। उनके बयान का मतलब नहीं है। भारद्वाज ने कहा- इस तरह की बातें तो आती रहेंगी। जब ‘इंडिया’ के सभी दल एक साथ बैठेंगे, सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे, सभी पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे, तब पता चलेगा कौन सी पार्टी को कौन सी सीटें मिलती हैं।