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महुआ ने एथिक्स कमेटी को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भाजपा के साथ साथ संसद की एथिक्स कमेटी से भी टकराव बढ़ाते हुए दो पन्नों की एक चिट्ठी कमेटी को लिखी है। कमेटी के सामने पेश होने से एक दिन पहले बुधवार को उन्होंने यह चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने कमेटी के अधिकारों पर सवाल उठाए। इतना ही नहीं महुआ ने यह कहते हुए चिट्ठी मीडिया को जारी कर दी कि कमेटी ने भी उनको भेजा गया समन पहले मीडिया को जारी कर दिया था। तृणमूल सांसद ने शिकायत करने वाले जय अनंत देहाद्रई और आरोप लगाने वाले दर्शन हीरानंदानी से पूछताछ करने की मांग भी की है।

गौरतलब है कि पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में महुआ मोइत्रा गुरुवार को लोकसभा की एथिक्स कमेटी के सामने पेश होंगी। बताया जा रहा है कि उनकी पेशी से पहले लोकसभा एथिक्स कमेटी को गृह, आईटी और विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भी मिल गई है।  एथिक्स कमेटी ने आईटी मंत्रालय से इस मामले में जानकारी मांगी थी। बताया जा रहा है कि आईटी मंत्रालय ने कमेटी को बताया कि महुआ की आईडी से दुबई में बैठ कर कम से कम 49 बार लोकसभा की वेबसाइट को लॉगिन किया गया।

इससे पहले एथिक्स कमेटी ने 26 अक्टूबर को इस मामले में पहली बैठक की थी। कमेटी ने आयकर विभाग, गृह मंत्रालय और आईटी मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर महुआ मोइत्रा केस से जुड़ी जानकारी मांगी थी। कमेटी ने गृह मंत्रालय से महुआ के पिछले पांच साल की विदेश यात्राओं का ब्योरा मांगा था। कमेटी ये जांच करेगी कि महुआ देश के बाहर कहां-कहां गईं और उन्होंने इसके बारे में लोकसभा में जानकारी दी या नहीं। इसके बाद इनसे उनके सांसद आईडी पर लॉगिन का मिलान किया जाएगा।

महुआ ने एथिक्स कमेटी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि कमेटी ने जो भी जानकारी मंगाई है वह उन्हें उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है- हीरानंदानी और देहाद्रई ने मेरे खिलाफ लगाए आरोपों का सबूत नहीं दिया है। इसलिए मैं दोनों को क्रॉस एग्जामिन करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहती हूं। इससे पहले महुआ ने कहा था- दो नवंबर को सारे झूठ ध्वस्त कर दूंगी। अगर मैंने एक भी रुपया लिया होता, तो बीजेपी तुरंत मुझे जेल में डाल देती। उन्होंने कहा- बीजेपी मुझे संसद से सस्पेंड कराना चाहती है। सच तो यह है कि वे मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते। एथिक्स कमेटी के पास आपराधिक क्षेत्राधिकार नहीं है। उनके पास इस मामले की जांच का अधिकार नहीं है। ये काम जांच एजेंसियों का है।

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